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________________ ८९७ प्रश्नों के उत्तर द्रव्यों का नाश कभी नहीं होता। मनुष्य-क्षेत्र में कहीं-कहीं प्रलय होती है, परन्तु वीज नष्ट कभी नहीं होता। ........ ... ... .. .. प्रश्न-भूमण्डल और आकाशमण्डल के सम्बन्ध में जैन-दर्शन की क्या मान्यता है ? . . .. उत्तर-जैनदर्शन ने विश्व को दो भागों में बांटा है। एक लोक और दूसरा अलोक । आकाश के जिस भाग में धर्म, अधर्म, जीव आदि द्रव्य पाए जाते हैं, वह लोक कहलाता है। जहां आकाश. . के अलावा कोई और द्रव्य न हो, शुद्ध अाकाश ही आकाश हो, उसे .. अलोक कहते हैं। अलोक अनन्त, अखण्ड, अमूर्तिक और केवल ... पोलारमय होता है। जैसे किसी विशाल स्थान के मध्य में छींका लटका हो, उसी प्रकार अलोक के मध्य में यह लोक है, भूमि पर एक दीपक उलटा रख कर उसके ऊपर दूसरा दीपक सीधा रख दिया जाए, और उस पर तीसरा दीपक फिर उलटा करके रख दिया जाए तो जैसा आकार उन तीनों दीपकों का होता है, वैसा ही आकार .. इस लोक का माना गया है। . . . . लोक १४ राज का विस्तार वाला होता है। राजू जैनदर्शन का एक पारिभाषिक शब्द है। इसे समझ लीजिए। ३, ८१, २७, .९७० मन वजन को भार कहा जाता है। ऐसे. १०००. भार के लोहे के गोले को कोई देवता ऊपर से नीचे फेंके । वह गोला छः महीने, ...छः दिन, छः प्रहर, छः घड़ी में जितने विशाल प्रदेश को लांघ कर . जावे उतने विशाल क्षेत्र को एक-राजू कहते हैं। ऐसे..१४ राजू के विस्तार वाला यह लोक होता है। .. - लोक के तीन भाग होते हैं । अधः, मध्य और ऊर्ध्व । अधोलोक सात राजू चौड़ा होता है, यह मेरुपर्वत के समतल के नीचे
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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