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________________ . प्रश्नों के उत्तर ........ mmmmmmwww .... को छोड़ कर यदि अहिंसक भावना का निर्माण कर लिया ...जाए तो हिंसाजनक साधन भी हिंसक नहीं रहने पाते, उनका . - सदुपपोग होने से वे अहिंसकता का ही रूप ले सकते हैं। पिछले . दो सौ वर्षों में विज्ञान ने खूब उन्नति की है, उसने ऐसे-ऐसे यंत्र . प्रदान किए हैं, जो. विश्व का संरक्षण और संहार, दोनों ही कार्य कर ....सकते हैं । यदि उनका अच्छा उपयोग किया जाए तो उससे विश्व : '. का संरक्षण और यदि उनका बुरा उपयोग किया जाए तो उससे . विश्व का संहार भी हो सकता है । वास्तव में वस्तु का लाभ और . . अलाभ उसके सद् और असद् उपयोग पर निर्भर हुआ करता है। . --विद्या जैसी उत्तम वस्तु भी दुर्जन के हाथ में जाकर ज्ञान के स्थान . में विवाद को जन्म दे देती है। धन को पाकर दुर्जन अभिमानी हो... जाता है, किन्तु सज्जन उससे परोपकार करता है । शक्ति पाकर . . एक व्यक्ति दूसरे को सताता है और दूसरा उसी से आततायियों के हाथों से पीड़ितों की रक्षा करता है। विज्ञान-जनितं यंत्र भी एक प्रकार की शक्ति है, यदि देश, जाति के उत्थान तथा निर्माण के लिए उस का उपयोग किया जाए तो वह मनुष्यता के लिए वरदान प्रमाणित हो सकती है किन्तु यह संव कुछ अहिंसा की छाया तले बैठ कर ही हो सकता है। __.. आज विज्ञान ने दूरी का अन्त कर दिया है, एक दूसरे को एक दूसरे के निकट ला कर खड़ा कर दिया है । विश्व की विभिन्न जातियों और राष्ट्रों को इतना समीप ला दिया है कि वे यदि ... -: परस्पर संवद्ध हो. कर रहना चाहें तो एक सूत्र में बद्ध हो कर रह .. - सकते हैं । संगठन के अनेक नए साधन आज के विज्ञान ने प्रस्तुत . . ... किए हैं, किन्तु आज उन का उपयोग संगठन के लिए हो रहा है, . .. " या विघटन के लिए ? यह स्वयं सोचा जा सकता है। जंगल में । शिकार की खोज में भटकने वाला व्याघ्र अपने नुकीले पंजों, अपने
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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