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________________ . प्रश्नों के उत्तर अन्य वस्तु या घटना का स्मरण कराने में कारण बन सकती है, किन्तु स्मरण, स्मरण में भी अन्तर होता है । मूर्ति भगवान् का स्मरण कराती है, और दूसरी सांसारिक वस्तु किसी अन्य सांसारिक वस्तु का । किन्तु भगवान् मंगलरूप हैं, इनका स्मरण जन्म-जन्मान्तर के पापों को नष्ट करने का कारण बन सकता है । इनके स्मरण से जीवन उन्नत और समुन्नत बन सकता है। इस के विपरीत अन्य पदार्थों से जिन वस्तुओं का स्मरण होता है, उन का हमारे जीवननिर्माण के साथ कोई. सम्बंध नहीं है। वे हमारे जीवनकल्याण में सहायक सिद्ध नहीं हो सकतीं, इस लिए. वे मूर्ति की भांति पूजनीय कैसे हो सकती हैं ? मूर्ति जीवन निर्मात्री साधन-सामग्री की स्मारिका होने से पूर्जनीय है। इस में . . .. .... वाधा वाली कौनसी बात है ? ........... : . .... उत्तर-मूर्ति को यदि इसलिए ही पूजनीय मान लिया जाए कि वह जीवन-कल्याण की कारण-भूत सामग्री का स्मरण कराती.. है तो. जीवन-निर्माण में सहायक वस्तुओं में सभी पदार्थ पूजनीय और नम-: . स्करणीय स्वीकार करने पड़ेंगे। ऐसा नहीं हो सकता कि भगवान का स्मरण कराने वाली मूर्ति का तो वंदन एवं स्तवन किया जाए और . अन्य वस्तुएं जो कल्याण तथा मंगल स्वरूप गुरुदेव आदि अध्यात्म नाक्तियों का स्मरण कराती हैं, उनको वंदन: या उनका स्तवन न ... ... किया जाए। गुरुदेव भी तो जीवन के निर्माण का पाठ पढ़ाते हैं और . - ज्ञान-ध्यान की पुण्य सामग्री देकर जीवन का कल्याण करते हैं, तो ---
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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