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________________ ७५० प्रश्नों के उत्तर निकों ने अपनी बहमुखी प्रगति में इस विषय को भी अछूता नहीं छोड़ा है ! प्रारिण-शास्त्रवेत्ता डाक्टर चांग ने वोस्टनः विश्वविद्यालय के जैव-रसायनशाला में इस सम्बन्ध में अर्थात् गर्भस्थानान्त- - रण सम्बन्धी परीक्षण किए हैं। इन में उन्हें प्राथमिक सफलताएं .. ... मिली हैं। अमेरीकन हिरनी के गर्भवीज को एक अंग्रेज़ी हिरनी.... के गर्भाशय में सफलता से स्थानान्तरित किया गया है । जैवरसायनागार जैव बोस्टन तथा कृषि कालेज केम्ब्रिज में पारस्परिक सहयोग. से गर्भस्थानान्तरण सम्बन्धी अन्वेषण जारी हैं और शीघ्र ' ही इस सम्बन्ध में सविस्तृत विवरण ज्ञात होगा । (पृष्ठ २१-२२) ... महावीर को तेजोलेश्या-जनित उपसर्ग - गोशालकं भगवान महावीर का शिष्य था, भगवान ने ही उसे शिक्षित और दीक्षित किया था, किन्तु वह आगे चलकर भग- . वान का ही विरोधी बन गया । भगवान की अवहेलना और भर्सना करना उसने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। एक बार उस . ने अपने तपस्तेज से भगवान के दो साधुओं को जला डाला था, निरपराध दो मुनियों के बलिदान से भी गाशालक की क्रोषज्वाला शान्त नहीं हुई। वह क्रोधावेश में भगवान महावीर को भी अप- . मानजनक ऊटपटांग बातें बोलता जा रहा था। अन्त में, करुणा : के सागर भगवान महावीर ने उसको कहा-गोशालक ! एक अक्षर देने वाला विद्यागुरु कहलाता है, एक भी आर्य धर्म का वचन. सुनाने वाला धर्मगुरु माना जाता है। मैंने तो तुझे दीक्षित और शिक्षित किया है, मैंने ही तुझे पढ़ाया है, और मेरे ही साथ तेरा.. यह व्यवहार ? गोशालक ! तू यह अनुचित कर रहा है ? तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए।
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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