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________________ ६४८ प्रश्नों के उत्तर बीत जाते हैं, ऐसे असंख्य समयों की एक ग्रावलिका होती है । ४,४८० प्रावलिकाओं का एक श्वासोच्छ्वास, नीरोग पुरुष के ३,७७३ श्वासोच्छ्वासों का एक मुहूत्तं ( दो घड़ी), तीस मुहूर्त्त का एक अहोरात्र ( दिन-रात ), १५ ग्रहोरात्र का एक पक्ष, दो पक्षों का एक मास, दो महीनों की एक एक ऋतु: ( वसन्त श्रादि), तीन ऋतुओं का एक प्रथन ( उत्तरायण और दक्षिणायन), दो प्रयन का एक वर्ष होता है । " X एक योजन लंबे, एक योजन चौड़े और एक योजन: गहरे गोलाकार गढहे में देवकुरु, उत्तरकुरु क्षेत्र के मनुष्य के एक दिन से लेकर सात दिन तक के जन्मे हुए बालक के बालाग्र ऐसे बारीक कर के ठूस ठूस कर भर दिए जाएं, जिनके तीक्ष्ण शस्त्र से भी दो टुकड़े न हो सकें। चक्रवर्ती की सेना उनके ऊपर से निकले तो भी वे दवे नहीं । फिर उस गढ में से सौ-सौ वर्ष व्यतीत हो जाने पर एकएक बालाग्र निकाला जाय । इस प्रकार बालाग्र निकालते--निकालते जितने समय में सारा गढहा खाली हो जाए, एक भी बाल उस में शेष न रहे, उतने वर्षों को एक पल्योपम कहते हैं । और दस कोडाकोडी (१००००,००००,००००,००) पल्योपम का एक सांगरोपम होता है । प्रश्न- धनुष किस को कहते हैं ? उत्तर - चार हाथ के परिमारण को धनुष कहते हैं । - 3 प्रश्न – मनुष्य सैंकड़ों हाथ का हो सकता है ? तथा उसकी आयु लाखों वर्षों की भी हो सकती है ? यह सत्यः कैसे माना जाए ? 7. उत्तर- हम ने जो ज़माना देखा है, वह केवल ५०-६० वर्ष
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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