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________________ ६४० प्रश्नों के उत्तर mm यज्ञवाद का पक्ष छोड़ कर भगवान के चरणों के दास बन गए। गौतम अकेले नहीं थे, बल्कि चार हजार चार सौ अन्य विद्वग्न ब्राह्मणों ने भी भगवान के पास मुनि दीक्षा ली । केवल ब्राह्मण ही भगवान के पास साधु बने थे, ऐसी बात नहीं थी, किन्तु बड़े-बड़े राजे-महाराजे तथा सेठ-साहुकारों के सुकुमार पुत्र भी भगवान के चरणों में भिक्षु बने, मगध-सम्राट् श्रेणिक की रानियां जो पुष्पशय्या से नीचे कभी पांव नहीं रखती थीं, वे भी भगवान की सेवा .. में उपस्थित हुई और उन्होंने भी भिक्षुरणी वन कर भगवान का. शिष्यत्व अंगीकार किया। - भगवान महावीर ने अपने श्रमण-संघ तथा श्रावक संघ को व्यवस्थित रखने के लिए चतुर्विध संघ की स्थापना की। चतु-... विध संघ में साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका ये चार समुदायों : का सम्मिलन था । इस चतुर्विध संघ को तीर्थ भी कहा जाता है, इस तीर्थ के संस्थापक होने से भगवान महावीर इस युग में २४वें ताथकर माने जात है। . .. .. . ... . .. भगवान महावीर के सामने उस समय अनेकों समस्याएं थीं। सर्व-प्रथम नारी-जगत की समस्या को लें। उस समय का समाज नारी के सम्बन्ध में बड़ी दूषितः भावना रख रहा था । मातृ-शक्ति का बुरी तरह अपमान कर रहा था । इस ने उसे धार्मिक तथा... सामाजिक अधिकारों से वंचित कर दिया था। किसी नारी को धर्म-शास्त्र पढ़ने का अधिकार नहीं था। नारी को अपवित्र और दीन समझकर इस से घृणा की जाती थी, किन्तु महावीर ने इस का विरोध किया और कहा कि पुरुष के समान नारी भी धार्मिक . . . तथा सामाजिक क्षेत्र में भाग ले सकती है। नारी को हीन पोर.
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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