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________________ PARA ३७३ . दशम अध्यायः अर्थात्-इस भव से एकानवें भव पहले मैंने बलपूर्वक एक पुरुष की हत्या की थी। उससे उत्पन्न हुए पापकर्म के फलस्वरूप मेरे पैर में यह .... कांटा लगा है। इस कथन से स्पष्ट है कि जीव - हत्या का पाप जन्मजन्मातरों तक अपना अशुभ फल देता है। . . . ... आर्यसमाज के प्रसिद्ध ग्रन्थे सत्यार्थप्रकाश के दसवें समुल्लास में लिखा है कि जो लोग मांसभक्षण और मद्यपान करते हैं उनके शरीर और वीर्य आदि धातु भी दुर्गध आदि से दूषित हो जाते हैं। भेड़, बकरी, घोड़े, गाय आदि उपकारी पशुओं को मारने वाले को सब ..। मनुष्यों की हत्या करने वाला जानिएगा। .... . केबीर जी ने जीवहत्या और मांसभक्षण का अत्यन्त निषेध ... किया है। उन्होंने लिखा है-- तिल भर मछली खाय के, करोड़ गौ करे दान। . ... काशी करवत ले मरे, तो भी नरक निदान ।। . . मुसलमान मारे करद से; हिन्दु मारे तलवार । ... कहे कबीर दोनों मिली; जाए यम के द्वार ।। ... महात्मा तिरुवल्लुवर ने लिखा है कि "जानवरों को मारने. एवं । - खाने से परहेज़ करना, सैंकड़ों यज्ञों में आहूति देने से बढ़कर है।" ...... सिक्ख शास्त्र में भी मांसभक्षण के विरुद्ध कई प्रमाण उपलब्ध होते हैं। गुरु ग्रन्थसाहिब में लिखा है-... ... ... .. .. . ... : . जे रत्त लागे कापड़े, जामा होय पलीत .. . .... . ते रत्त पीवे मानुपातिन क्यों निर्मल चीत ।। .... ::mirimmmmmmmmministram श्रमणे वर्ष ९ अंक २ .. wwwww
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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