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________________ प्रश्नों के उत्तर थी । आप का जन्म ज्येष्ठ शुक्ला द्वादशी को, दीक्षा ज्येष्ठः शुक्ला 'त्रयोदशी को,केवल-ज्ञान फाल्गुण कृष्णा छठ और निर्वाण भाद्रपद कृष्णा सप्तमी को हुआ.। आप की निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है । . आप विवाहित थे। १६ लाख पूर्व तक प्रापः गृहस्थावस्था में रहे और एक लाखः पूर्व तक आप ने संयम का पालन किया.। अन्त में, एक हजार साधुओं के साथ आपने सिद्धि प्राप्त की।... .... भगवानं चन्द्रप्रभ जी-- . ...... ....... आप जेन-धर्म के आठवें तीर्थंकर हैं । आप की जन्म भूमि . चन्द्रपुरी नगरी थी । आप के पूज्य पिता का नाम महासेन राजा और माता का नाम लक्ष्मणा था। आप का जन्म पौष शुक्ला द्वादशी को,दीक्षा पौष कृष्णा त्रयोदशो को,केवल-ज्ञान फाल्गुण कृश्णा : सप्तमी और निर्वाण भाद्रपद कृष्णा सप्तमी को हुआ। आप की . निर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है। आप विवाहित थे । ‘पाप ने ह लाखः पूर्व गृहस्थावस्था में व्यतीत करके एक लाख पूर्व तक . संयम का पालन किया ।, अन्तः में, हज़ार साधुओं के साथ आप... .. मुक्त हुए। ....... ................... .. ... भगवान संविधिनाथ जी- .......... ....... ...: आप का दूसरा नाम पुष्पदन्त भी है। आप जैन-धर्म के नौवें . - तीर्थंकर हैं । आप की जन्म-भूमि काकंदी नगरी, पिता सुग्रीव तथा : .. माता रामादेवी थीं । माप का जन्म मार्गशीर्ष कृष्णा पंचमी को, दीक्षा मार्गशीर्ष कृष्णा छठ को, केवल-ज्ञान कार्तिक शुक्ला तृतीया और निर्वाण भाद्रपद शुक्ला नवमी को हुा । आप की तिर्वाण-भूमि सम्मेतशिखर है । आप विवाहित थे । एक लाख पूर्व आपने गृह- . स्थावस्था में व्यतीत किया और एक लाख पूर्वः आपने संयम का
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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