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________________ द्वादश अध्याय ५६१ भी साफ कर देता है। मकान में रजोहरण फेरते- फेरते यदि आलोचना का एकाध रजोहरण ग्रात्मा या मन पर फेर दे तो वह कर्म रज को भी सर्वथा साफ कर देता है । यदि अभी परिणामों की इतनी उत्कृष्टता न भी ग्राए तो भी विवेक - पूर्वक मकान को साफ करते हुए वह् जोवों की यतना-रक्षा करके पाप कर्म से सहज ही बच सकता है । क्योंकि कूड़े-करकट के विखरे रहने से कई तरह के जीव-जन्तु ग्राजाते हैं, तथा मकड़ी यादि कई जन्तु उत्पन्न भी हो जाते हैं और सावधानी से अपने या दूसरे के शरीर से उनकी हिंसा होना भी सम्भव है । अतः मकान को साफ करने या रखने का अर्थ है - उस कचरे में स्थित जीवों को विवेक- पूर्वक सुरक्षित स्थान में रख देना और नए जीवों की उत्पत्ति को रोक देना । इस तरह विवेकपूर्वक कचरे को निकालते हुए साधु द्रव्य और भाव दोनों तरह की रज को दूर करता है । यह विल्कुल ठीक कहां गया है कि कचरे को साफ करते हुए साधु ७ या ८ कर्मों की निर्जरा करता है या उनके बंधन को शिथिल करता है । प्रश्न - रजोहरण किस चीज़ का बना होता है ? 2 उत्तर-- हम अभी बता चुके हैं कि रजोहरण ऊन का वना होता है | साधारण नियम यही है। विशेष परिस्थिति में अर्थात् ऊन उपलब्ध न हो तो ऐसी स्थिति में ग्रन्य वस्तु का भी बनाया जा सकता है । इसलिए स्थानांग सूत्र में ५ प्रकार का रजोहरण रखने का विधान है । वृहत्कल्प सूत्र के दूसरे उद्देश्य में भी ५ तरह का रजोहरण रखने की बात कही है । वह इस प्रकार है- १ - प्रौणिक, २- श्रौष्ट्रिक, ३ - सानक, ४ - पच्चारिणच्चित्र और 8-मुंजपिच्छित । - भेड़ के बालों को ऊर्ग कहते हैं । ऊर्ण या ऊन से बनाए
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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