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________________ : ५६९ द्वादश अध्याय जोतने, झाड़-झंखाड़ को खोद कर जमीन साफ बनाने तथा फसल के साथ उग ग्राए घास-फूस को उखाड़ फेंकने में व्यस्त रहता है, कारखाने में मजदूर वस्तुओं के मैल को हटा कर साफ-सुथरी बनाते रहते हैं, और भी लोग अपने कार्यों को व्यवस्थित रूप से करने में लगे रहते हैं, उसी तरह साधु भी सदा-सर्वदा अपनी साधना में संलग्न रहता है । वह ग्रुपने जीवन क्षेत्र को साफ करने के लिए, उसमें उग आए मनोविकारों के कंटील पौधों एवं काम-क्रोध के घास फूम को काट फेंकने तथा जीवन को मांजने में सदा सजग रहता है। वह प्रतिक्षण विकारों के साथ संघर्ष करता रहता है । इसलिए वह बाहर से काम करता हुआ न दिखाई देने पर भी बहुत बड़ा काम करता है और वह यह कि वह शांति के प्रखर प्रकाश को विश्व के कण-कण में बिखेर देता है | '. "इतिहास साक्षी है कि भगवान महावीर और बुद्ध ने विश्व को क्या दिया था ? अपनी साधना के सौम्य प्रकाश से जगत के अंधकार को हो तो दूर किया था । जन मानस में सद्ज्ञान का दीप जगा कर उसे शांति का मार्ग बताया था । हिंसा, दुराचार एवं शोषण की भयंकर अटवी में पथ भ्रष्ट इन्सानों को जीवन की राह बता कर उन के जीवन को उन्नत बनाया था। शोषित एवं उत्पीडित तथा अपमान एवं तिरस्कार की आग में जलने वाले अछूतों को गले लगाकर शोषण से मुक्त होना सिखाया था । और यह एक ऐसा काम था, जिसे एक दो तो क्या लाखों-लाख किसान-मजदूर या वैज्ञानिक मिल कर भी नहीं कर सकते। क्योंकि उसके लिए साधना करनी पड़ती है। पहले अपने जीवन पर काबू पाना होता है, विकारों को जोतना पड़ता है । भगवान महावीर ने अपने जीवन को मानने के लिए साढ़े बारह वर्ष तक कठोर साधना की थी। क्योंकि विकारों एवं वासनाओं से मुक्त ! CA ; SHI י
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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