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________________ र - . प्रश्नों के उत्तरः mmmmmmmmmmmmmmminnanmaan नहीं उखाडती है। क्योंकि इससे गाय का पेट भी भर जाता है और .. घास का पौधा भी नष्ट नहीं होता। इस तरह साधु भी थोड़ा-थोड़ा आहार ग्रहण करते हैं। इसी कारण उनकी आहार ग्रहण करने को क्रिया को गोचरी या मधुकरी कहते हैं। वैदिक परम्परा में भी ... मधुकरो का वर्णन मिलता है । परन्तु आज के सन्यासियों में यह वृत्ति .. कम देखने में आती है । जैन परम्परा में आज भी यह वृत्ति कायम है। जैन साधु किसी भी स्थिति में अपने निमित्त बने हुए प्रहार- :.. पानी को स्वीकार नहीं करते । न उनके लिए उनके स्थान पर लाए.. : - हुए आहार-पानी, वस्त्र पात्र आदि ही स्वीकार करते हैं । .... भिक्षा आज के युग की बहुत बड़ी समस्या है। दुनिया का प्रत्येक . .राष्ट्र इस समस्या को सुलझाने में व्यस्त है। भारत में यह सपस्या.. - बहुत उग्र रूप धारण किए हुए है। राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार ४० .. ... लाख के करीब भीखमंगे हैं, जो राष्ट्र के लिए बोझ रूप हैं। सरकार ... - इस वृत्ति को समाप्त करने के लिए कई योजनाएं बना चुकी है, फिर .. भी अभी तक इस वृत्ति में कमी आई हो ऐसा दिखाई नहीं देता । कुछ.. ...वर्ष हुए बम्बई सरकार में यह बिल रखा गया था कि भीख मांगने पर : .. ...प्रतिबन्ध लगाया जाए। इसमें भीखमंगों के साथ सभी मजहब के साधु-सन्यासियों को भी शामिल किया गया था। कुछ दिन हुए . भारत साधु सेवक समाज ने भी एक प्रस्ताव पास करके सरकार से . ... भिक्षा वृत्ति को समाप्त करने की मांग को थी। आज राष्ट्र में भीख- ... ... मंगों के लिए रोष है और जनता भी इसे तिरस्कार की दृष्टि से ..... देखती है और इसी कारण अनेक व्यक्ति यह पूछ बैठते हैं कि इतने . - प्रादर्शजीवी जैन साधु भिक्षा क्यों मांगते हैं? . . . हम पीछे देख चुके हैं कि जैन साधु का जीवन जगत के छोटे-बड़े
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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