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________________ प्रश्नों के उत्तर पूंजी विस्तार की राक्षसी भावना के कारण हैं । राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संघर्षों को दूर करने तथा तनाव को कम करने का एक ही उपाय है कि मनुष्य अपनी अनियंत्रित तृष्णा पर रोक लगाएं | वह अपनी आकांक्षा को एक मर्यादा में बांध लेवें । इस से स्व और पर के जीवन में शान्ति का सागर ठाठे मारता दिखाई देगा । परिग्रह की मर्यादा करने के लिए आवश्यक पदार्थों को इस तरह बांटा जा सकता है - ..४९८ १- मकान-दुकान और खेतं आदि की ज़मीन । २-स्वर्ण-चांदो-जवाहरात आदि के आभूषण । ३- नौकर-चाकर, गाय-भैंस आदि पशु । ४- मुद्रा धन तथा गेहूं आदि धान्य एवं सवारी श्रौर कृषि का माल ढोने के लिए यान सवारी । ५ - प्रतिदिन उपयोग में आने वाले वस्त्र पात्र, पलंग, बिस्तर आदि आवश्यक पदार्थ तथा घर का सामान | 2 परिग्रह परिमाण व्रत एक करण तीन योग से स्वीकार किया जाता है, अर्थात् मन वचन और शरीर से परिग्रह संग्रह करने का त्याग किया जाता है । और इस व्रत का निर्दोष रूप से परिपालन करने के लिए श्रावक को पांच बातों से सदा बच कर रहना चाहिए । १- मकान, दुकान और खेत की मर्यादा को, सीमा को किसी भी बहाने से बढ़ाना | २- स्वर्ण - चांदी -जवाहरात आदि को, तथा आभूषणों को भी मर्यादा से अधिक बढ़ाना । ३- द्विपद और चतुष्पद प्राणियों की जो मर्यादा की है, उससे अधिक बढ़ाना | ४- मुद्रा, जवाहरात आदि धन-वैभव की मर्यादा का उल्लंघन
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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