SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 103
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्नों के उत्तर remr.mmmrrrrr तो दुराचारी व्यक्ति का समाज में विश्वास नहीं रहता; जिसको बहन- . वेटी एवं पत्नी के साथ दुष्कृत्य किया जाता है, मालूम पड़ने पर वह .:. उसका शत्रु बन जाता है । सन्तान में वर्णशंकरता बढ़ती है। यही कारण है कि दुनिया उसे (परस्त्रो लम्पट को) धिक्कार देती है।। रावण के पुतले का आज भी जो अपमान एवं तिरस्कार किया जाता है, . उसका एक मात्र यही कारण है कि उसने राम की पत्नी सीता के साथ दुराचार करना चाहा था। रावण ने सीता को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बहुत-से प्रलोभन दिये, उसे डराया-धमकाया भी। परन्तु उसके साथ बलात्कार नहीं किया। रावण के जीवन में एक चीज़ थी कि मैं सीता के साथ तब तक दुर्व्यवहार नहीं करूंगा जब तक वह मुझे स्वीकार नहीं कर लेगी। इस तरह उसकी कामेच्छा प्रवल होने पर भी शरीर से उसने उसके साथ मैथुन का सेवन नहीं किया। फ़िर भी सिर्फ भावना के विगड़ जाने के कारण उसे अनेक कष्टों को .. सहना पड़ा। केवल विषय-विकार की आसक्ति के कारण उसे सोने . की लंका एवं अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। उस समय भी उसे अपमान एवं तिरस्कार के कड़वे घूट पीने पड़े और आज भी प्रति वर्षः ... दशहरे के दिन उसकी बेइज्जती एवं वदनामी होती है। वस्तुतः यह रावण का तिरस्कार नहीं, उसकी दुराचार भावना को, दुष्ट वृत्ति .. का तिरस्कार है। प्रस्तु, प्रत्येक समझदार व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपनी वासना पर नियंत्रण रखें। यदि वह पूरी तरह उस पर. विजय नहीं पा सकता है, तब भी कम से कम उसे मर्यादा से बाहर न ... वहने दे। अपनी कामुक दृष्टि को इधर-उधर न दौड़ने दे । अर्थात . स्वदार सन्तोष व्रत में अपने आपको स्थित रखने का प्रयत्न करे। इसी में व्यक्ति, परिवार, समाज एवं राष्ट्र का हित निहित है।
SR No.010875
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages606
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy