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________________ 1 १९१ तृतीय अध्याय कि जिस प्रदेश मे आग रहे वह प्रदेश अग्निमय दिखाई दे और दूसरा यह है कि उस प्रदेश मे स्थित पदार्थो को जला कर भस्म कर दे । यह ठीक है कि अग्नि ग्राकाग को जला नही सकती, परन्तु जिस स्थान मे प्रज्वलित होती है, उतने आकाश प्रदेश अग्निमय ही दिखाई देते है । वे आग से प्रभावित हुए बिना नही रहते । रहा जलाने का प्रश्न ? अमूर्त । पदार्थ ही नही, कई ऐसे मूर्त पदार्थ भी हैं कि जिन पर आग का कोई ग्रसर नही होता । जैसे वस्तु को पानी के प्रभाव से बचाने के लिए वाटर प्रूफ (Water proof) वस्त्र का निर्माण किया गया, उसी तरह वैज्ञानिकों ने ( Fire proof) वस्त्र का भी निर्माण कर लिया है । यह वस्त्र आग के प्रभाव से सर्वथा अछूता रहता है। जम्मू-कश्मीर के पहाडी मे इस तरह का पत्थर पाया जाता है, जिससे रूई की तरह रेगे निकलते हैं । और मेहनत करने पर उसके धागे भी बनाए जा सकते है । इस रूई की विशेषता यह है कि इस पर ग्राग का असर नही होता । * इससे स्पष्ट होता है कि आग बहुत से मूर्त पदार्थो को भी जला नही सकती, परन्तु जव आग की लपटे उन पदार्थो के पास होती हैं तो वे श्रागमय परिलक्षित होते हैं । उसी तरह आकाश भी अग्निमय दृष्टिगोचर होता है । इस लिए हम यह नही कह सकते कि वह आग के प्रभाव से सर्वथा अछूता है । इतना ही कह सकते है कि ग्राग ग्राकाश के स्वरूप को बदल नही सकती । आग के बुझते ही ग्राकाश फिर से निर्मल और स्वच्छ प्रतीत होने लगता है । यही वात & जम्मू गवर्नमेन्ट कालिज के जीप्रोलोजी ( Geology ) विभाग के प्रोफेसर ने मुझे बताया कि इसमे बना तार न आग से पिघलता है, न जलता है और न दूसरे रूप मे परिवर्तित ही होता है, अर्थात् आग के कारण इसे किसी तरह की क्षति नही पहुचती । - सपादक
SR No.010874
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages385
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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