________________ ( 267 ) तिरिक्ख जोणियाउयकम्मासरिप्पयोग पुच्छा, गोयमा ! माइल्लियाए नियडिल्लयाए अलियवयणेणं कूडतुलकूडमाणेणं तिरिक्खजोणिया उयकम्मासरीर जावप्पयोगबंधे। भग० श० 8 उद्देश : भावार्थ हे भगवन् ! तिर्यग्योनिकायुष्कार्मण शरीर प्रयोग का बंध किस कारण से किया जाता है ? इसके उत्तर में श्री भगवान् कहते हैं किहे गौतम! पर के वंचन (छलने) की बुद्धि से, वंचन के लिये जो चेप्टाएँ हैं उन में माया का प्रच्छादन करने से अर्थात् छल में छल करने से, असत्य भापण से और कूट तोलना और कूट ही मापना इस प्रकार की क्रियाओं के करने से जीव पशु योनि की आयु वांध लेता है। जिसका परिणाम यह होता कि-वह मर कर फिर पशु चन जाता है। प्रश्न-मनुष्य की आयु जीव किन 2 कारणों से बांधते हैं ? उत्तर--भद्रादिक्रियाओं के करने से जीव मनुष्य की आयु को बांध लेता है जैसेकि मगुस्साउयकम्मा सरीर पुच्छा, गोयमा ! पगइभद्दयाए पगइविणीययाए साणुक्कोसयाए अमच्छरियाए मणुस्साउयकम्माजावप्पयोगवंधे / भग० श० - उ० / भावार्थ-हे भगवन् ! मनुष्य की आयु जीव किन 2 कारणों से वांधते हैं ? हे शिष्य ! स्वभाव की भद्रता से, स्वभाव से ही विनयवान् होने से, अनु. कंपा के करने से और परगुणो मे असूया न करने से अर्थात किसी पर ईर्ष्या न करने से / इन कारणो से मनुष्यायुष्कार्मण शरीर का वध किया जाता है। प्रश्न-देव की आयु किन 2 कारणा से वांधी जाती है ? उत्तर-सराग संयमादि क्रियाओं से देवभव की आयु वांधी जाती है जैसेकि देवाउयकम्मासरीर पुच्छा, गोयमा ! सरागसंजमेणं संजमासंजमेणं बालतचोकम्मेणं अकामनिज्जराए देवाउयक्रम्मा सरीरजावप्पयोगबंधे।। भगवती, सू० शतक = उद्देश // 6 // भावार्थ हे भगवन् ! देवायुप्कार्मण शरीर किन 2 कारणों से वांधा जाता है ? हे शिष्य ! देवभव की प्रायु चार कारणों से बांधी जाती है। जैसेकि-राग भाव पूर्वक साधु वृत्ति पालन से गृहस्थ धर्म पालन करने से, अज्ञानता पूर्वक कष्ट सहने से, अकामनिर्जरा (वस्तु के न मिलने से)