________________ HXXXSAXCIXC TRIC DEORCHIDAOXOpapersa 1636 को चतुर्मास अम्बाला शहर में किया / ( इस चतुर्मास में श्रीश्रीश्री 1008 पूज्य सोहनलाल जी महाराज, श्री 1008 गणावच्छेदक, स्थविरपद-विभूपित स्वामी गणपतिराय जी महाराज ठाणे चार थे। उसी समय में संवेगी साधु भर्तिपूजक श्रात्माराम जी का चतुर्मास भी अम्बाला शहर में ही था)। 1140 का चतुर्मास श्रापने श्री पूज्य मोतीराम जी महाराज के साथ नालागढ़ में किया 1941 का चतुर्मास लुध्याना शहर में किया 1642 का चतुर्मास फिर लुध्याना में ही किया / उन दिनों में श्री विलासराय जी महाराज ने चतुर्मास लुध्याना में ही किया था। उन की सेवा के लिये आपने उन्हीं के चरणों में वहीं पर चतुर्मास किया 1943 का चतुर्मास आपने नाभा रियास्त के अन्तर्गत बीटांवाले शहर में किया। 1644 का चतुर्मास फिर अापने श्री पूज्य महाराज के साथ नालागढ़ में किया। 1645 का चतुर्मास यापने माछीवाड़ा में किया। 1646 का चतुर्मास आपने पटियाले शहर में किया / 1947 सा चतुर्मास आपने रायकोट शहर में किया / 1648 का चतुर्माप धापने फरीदकोट शहर में किया। 1616 का चतुर्मास श्रापने पटियाले शहर में किया। 1950 का चतुर्मास थापनें मलेरकोटले शहर में किया। 1611 का चतुर्मास श्रापने अम्याला शहर में किया / 1612 का चतुर्मास शापने लुध्याना शहर में ही किया। इसके पश्चात् श्री प्राचार्यचर्य शमा के समुद्र श्री पूज्य मोतीराम जी महाराज जंवायल क्षीण होजाने के कारण लुप्याना शहर में ही विराजमान होगए और उनकी सेवा करने के लिए 53-54.55-56-57-58 के सर्व पतुर्माम आपने भी लुप्याना में ही किये / इन चतुमांसों में जो धर्मवृद्धि हुई, उसका वृत्तान्त श्री पूय मोतीराम जी महाराज के जीवन चरित्र में लिया जा चुका है / जब श्राश्विन कृष्ण 12 को / श्री पूज्य मोतीराम जी महाराज का स्वर्गवास गया तब श्रापने चतुर्मास के पश्चात् पटियाले शहर में श्री श्री श्री 1008 पृज्य प्राचार्ययर्य पूज्य मोतीराम जी महाराज की भाज्ञानुसार श्री श्री श्री१००८ पूज्य सोहनलाल जी महाराज को प्राचार्य पद की चादर / महाराज को आचार्य पद पर स्थापित किया था। इस विषय का वृतान भी अमरसिंह नी महाराज के जीवनचरित्र वा श्री मोतीराम जी महाराज के जीवन में देखो।