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________________ मरसEEVERE: म र -मिस फर्म के रखप से ग्रीव काममा मी परन प्राममहो। म.-अपपयाकीसिनाम कर्म पिसे पाते। -जिसपर्ममप से निपों में भपपराया अपकीर्ति LADK GEEममासा A -गोत्र कर्म के कितने मे / -दो। भौर 2 नीच। गिस कर्म से प्रणेकस मेसम्मो से रण गोष करवे और मिस कम पिप। सेनीस में सम्मो रसेनीष मोषपाते। म-प्रतपय कर्म के कितने मेव। -पांच।१पानाम्सराय सामान्य मोगान्तराप | रपमोमाम्बराय और दीपोतराप / परकर्म पानादि -५कायों में विन करता है अर्थात् पानान्तवान बने / में विनोबाना सामान्तराप-पस्तु की प्राप्ति में विन उपस्पित होचाना मोगान्तराप-सो बस्तु एक बार मोगी याप पसे मोगकरवे मोउसके मोगये में मिल पोगाना उपमोगान्तराप-जो पस्तुपारम्बार मोगने में बाये गसमें पिका पप गाना / इसमभार कमाँ की मूल प्रहतियों भीर ! उत्तर प्रतिपों का संप से बर्दन किपा गया है। जिस प्रकार पर प्रासनाने से शरीर के सप्त पारसी पास रस से उत्पन होते पारि पाdk ठीकसी प्रकार एक कर्म करने से फिर रस कर्म के परमाणु कमी की मूस प्रतिपोबा सतर महतियों में से बाते भत् परि होगाते। किन्तु स्थिति पम्प में इस पिपप पर्यन ED
SR No.010866
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
Publisher
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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