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________________ नमाज E RESUERIES ( 25) रसपूर्ण विषयों पर स्पून पी बोंगों की रपि नही जमती और उ सनहीं पाता इसमें बज पिषयों का क्या दोषा: पोप समझने वालों को मि का किसी भी विषय के भम्पासी कोस पिपप में रम वमी भाता है कि पा समें ताकतर भाय। इसकपन से पूर्ववपा सिद्रो गया फिर्मपाव पाश्रमसियान्ता भम्पारमवाद साप प्रतिनिकर सम्बन्पमप्पास्म प्रकार तमी हो सकता बम फर्मबारका पवाबोपोगाए / कारपनिसपटकर्म पुरनहोजाएँ तब तक मध्यारम प्रकाशोपी नही सकता। अप मम पा उपस्थित होता किवास्तव में कर्मा सकप स्पास प्रश्न के समापान में काराबाता कि मिप्पात्व पाय भाषि कारपों से जीप मारा को किया जाता है वही पर्म कामाता।कर्म का पासप पर्यंत मापकर्म सम्पफर्म दोनों में पदित होता मोकि भाषकर्म भारमा का-खीव का वैमाधिक परिणाम है। इससे पसका पादाम पकतो जीवनी और मम्प मो दि कार्मर माति के सामानों का रिकार सका मी का निमित्त कर से बीष दी है।माष कर्म होने में प्रम्पकम निमिच और प्रम्प में मावधर्म मिमिनारस प्रकार पदोनोकामापस में बीमाकरकीराकार्यकारक माष सम्मापरे। - IREDEODES - -
SR No.010866
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
Publisher
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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