________________ LIBERTERMEREEEEEEX ( 12 ) मानपमान अवस्था में बीमारमा का समापश्यों नही। सलिये प्रापास्म शाम को भाषस्मक है कि पा पासे / भारमा के स्पमान साप की उपपति विषाकर मागे हे। पही काम पर्मशालकिपा मास्यमाम सववस्थानों को कर्मसम्प पतमाफर उनसे मात्मा के स्वभाव की गई। की सुबना रखा है। इस राशि से कर्मशास अभ्यारमगाम का दीपक भंश है। परि मप्पास्म शासका उदस्य मामा राम स्परप का प रमापी माना गाय तर मी फर्मशाम को उसका प्रपम सोपान मानना ही पड़ता है। इसका कारण यातिक मनुमप में माने काही वर्तमान अबस्थामों पाप मारमा के सम्माप का सचा पसासा न घोसपटकरपि मागे से पड़ सकती है। अब पास हो साकिसपर सबप मापिका पैमाधिकरवब स्पयमेष शिसा होती कि मारमा का सगा सप्प क्यारसी समय मारमा पर शुर स्वरूप का प्रति पावन सार्थक होता है। परमारमा साप मारमा का सम्बम्परिणामा मीमम्परम बाल का पिपपास समय मैं पनिपों में पागीता में असे विचार पाए जाते से ही कर्मशान में भी। पर्मपाल कातामारमा ही परमारमा जीप परमारमा का परमात्मा में मिस गाबा, सामवसर पदकभारमा कामपोकमान पामारममाव को पार कर परमारम पोमाना / सीप परमात्मा का मंचसा मवसरम | सबीररिसपा: कि मीर में जितनीशामाता मत परिपूर्ण परम् प्रवाह (भात) पतमापदिकारा पर AFTEREHREE SERIFaना