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________________ माता-ASE. E%ENEVERESEREEXम चिप्प-रेमगषम् ! भात्मीप पोपों के निराकरण करने स किस गुपकी प्राप्ति होती! पुर- शिम्य ! प्रारमीय दोपों के निपकरण करने से मारमा की सर्पपा गयि बागावी।से कि ममपुर बम को पार मे पोने से उसका मत निकल मावासी प्रकार मात्म प्पान से प्रारिमा दोष-कोप मान मापा भीर होम रूप पर होगा। शिम्पो मगमम् ! समस्त विषय जम्प सुखों की निधि करम से किम ग्रस की प्राप्ति होती गुरुशिषसमस्त विषय अम्प सुनेके स्पगने से। मास्मिक हम की प्राप्ति हो जाती यो प्रचपसाबप। शिप्प- मगवन् / प्रस्पाम्पान (निपम) करने से किस गुपकी प्राप्ति होती है? गुरु-रे शिम्य ! भामम मारों का निरोप दो गाता पीर मारमा प प्रविशा पासा होने से मात्मिा बसको अनुमष करने पासा होगादा। शिम्प-मगवम् !म्पुत्सर्म करने से क्या फस्रोता! गुरु-रे शिप्प ! पुत्ता काय के ममत्व मापको मोड़ कर प्यानम्प दो गाने से भारमा पूर्व सचित मर्मत कमी का उप कर माता अमुहम मेमरक्षास बरवाइमा अनन्त नाम और मर्मत पर्गन की माति कर मेता है। शिप-हे मगर ' अममार करने से किस गुपकी उपमपि हो जाती है! गुरु-शिप्प भरमार करनस कार्य की मफलता AFTFHT - - अजESVERESTHA -----
SR No.010866
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
Publisher
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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