SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ REME-FREEEEEEEE. 10 बोकानुप्रेक्षा-पाजगत् पम अधर्म माका कार पुमस भीर सीप--दमक पदापों का समाप है। इसके तीन दिमाग -अपोलोड, मप्यतोष और कर्मसोफा तीनों लोकों में माली अपमे फिर फोक फलों को भोयते " सिस प्रकार प्रपोलोक के भम्तिम माग में सात नरक मे शीव परम पुरुषों को मोगते ही उसी प्रकार जीव कर्मसोक के पश्विम माग में प्रत्यम्त सबों को मोपते।। तीन सोगों की प्राति की अनुमेधा करना भीर सापको जीपों की जिस प्रकार से लोक में गतागति होती है उसका भनुम करना-पसी कामाम तोकानुप्रेशा। मोर फिरस बात का भी प्पान रखना चाहिए कि यह संसार मदिसी में बनाया है और मासका कमीमाय रोगा। पर अनादि ममत पर सदा इसी प्रकार रोगा। ११पोभिदुर्तममापना-जीप को इस ममापि सप्तार 74 में प्रमण करते एए प्रत्येक वस्तु का संपोग समपूर्वक मिल सकता है किन्तु दोष का मिसमा अस्पम्त धर्मम स्योंकि पति अस्पात पुम्प प्रमाण से सीब को ममुप्प सम्म की मामी की प्राप्ति भी आप तो पिर बोम पीरका " प्रास होना अस्पम्त दी जयोपशम माप का मरण माममा पाहिए / सर्व पदार्य पसपिनावरग्नुि चोप पीसदी मामा को भचप पर की प्राप्ति कराने में सहापाता। 12 पर्मानुमंता-पापग्मा शारीरिक, मानसिक व्या " मामिक वनमा पर्म सेदो पाप होम पोकि धम एक सामीपमा पालापरब पर्म की Far-F-METFIRESEREEXE
SR No.010866
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
Publisher
Publication Year
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy