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मन
इसमें कोई दृष्टान्त दो ।
अभाव किसे कहते हैं ।
र
जैसे- किसी ने कहा किशास्त्र शीघ्र पढ़ो। इस वाक्य में आकांक्षा योग्यता- मौर सन्निधि तीनों का प्रस्तिस है तब ही शास्त्र शीघ्र पढ़ो ! इस वाक्य से बोध हो सकता है- यदि इन तीनों पदों को भिन्न २ ता से पढ़ें। जैसेशास्त्र - फिर कुछ समय के पश्चात् " शीघ्र " कह दिया तदनु बहुत समय के पीछे "पढ़ो " इस क्रिया पद का प्रयोग कर दिया इस प्रकार पढ़ने से वाक्य से यथार्थ ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती अतः उक्त पथ वाला ही वाक्य प्रमाण हो सकता है ।
भाव कान होना नही अभाव होता है ।