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________________ ( ३ ), एतर अचय किसे कहते हैं। जिसके होने में दूसरे पु दाथे की सिद्धि पाई जावे, | जैसे आग होने से धूत्रा | होता है उसे अचय कावे । __ व्यतिरेक किसे कहते हैं। जिसके न होने से दूसरे पदार्थ की भी सिद्धि होजावे-जैसे आग के न होने से धूम भी नहीं होता। अचय का दूसरा नाम क्या है | उपलब्धि। व्यतिरेक का दूसरा नाम अनुपलब्धि। __ अनुमान किसे कहते हैं। साधन के द्वारा जो साध्य का ज्ञान होना है उसे ही भनुमान करते हैं। ___ हेतु किये कहते हैं। जो साध्य के साथ अवि नाभावापल से निश्चित हा, अर्थात् साध्य के बिना होही न सके उसेही हेतु कहते हैं। अविना भाव किसे कहते। जो सप भाव नियम को और क्रम भाव को नियम को | धारण किये हुए हो। क्या है। ।
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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