SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निमिच - कहते हैं । 耳餅 उत्तर कारया किसे | जैसे- कुंभकार घट के बनाने में निमित्त मान होता है किन्तु मिट्टी यदि हन्ष पहिले ष्ठी विद्यमान होते हैं । उपादान कारण 'निमित कारण बिना सफलता प्राप्त नहीं करसकता, जैसे कुभकार- घट बनाने का वेत्ता तो है किन्तु मिट्टी श्रादि द्रव्य उसके पास नहीं है तो भला ! वह किस प्रकार घट बना सकता है । क्या - ईश्वर के इच्छा भी है । 1 1 ( ७१ ) • हम तो सृष्टिकर्ता परमात्मा को उपादान कारण से मानते हैं । ' । परमात्मा अपनी शक्ति द्वारा सब कुछ करसकता है ईश्वर इच्छा से रहित है इसलिए ! उसको इच्छा नहीं होती । वह सर्वशक्तिमान् है । जो चाहे सो करसकता है । I जब ! ईश्वर "इच्छा से रहित है तो फिर बिना इच्छा शक्ति का स्फुरणा कैसे संभव होसकता है । क्या - ईश्वर अपने स्थान में दूसरे ईश्वर को बना सकता है । और अपना नाश कर सकता है ।
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy