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________________ ७१४ संख्या । भेव । तिथियाँ । ܐ २ ३ १ नन्दा पड़िया, छठ और एकादशी । भद्रा द्वितीया, सप्तमी और द्वादशी । ५ पूर्णा भया तृतीया, भष्टमी और तेरस । भाम तिथि । पड़िया और नौमी । तुतीमा और एकादशी । पम्मी मौर प्रमोदधी । चतुर्थी और द्वादशी । सूचना – यदि नन्या विभि को शुक्रवार हो, भद्रा तिथि को बुधबार हो, जमा विभि को मङ्गलबार हो, रिच्य विषि को शनिवार हो तथा पूर्णा तिथि को गुरुवार ( बृहस्पति बार ) हो तो उस दिन सिद्धि योग होता है, यह ( योग ) सब शुभ कामों में अच्छा होता है ॥ संख्या । तरफ । १ अनसम्प्रदामचिचा || दिशाशूल के जानने का कोष्ठ ॥ नाम धार । नाम वार । दिवा में । सोम और धनियार को । पूर्व दिशामें । गुरुवार को । दक्षिण दिशा में । योगिनी के निवास के जानने का कोष्ठ | दुध वा भङ्गम्वार को। रबि तथा शुक्रवार को । दाहिनी तरफ । २ माई सरफ | रात्रि । मेन और सिंह ग्रुप, कन्मा और मकर संख्या । मेद । विभियों । दिवा में । पूर्व दिशा में। श्रमि कोण में । दक्षिण दिशा में । नैऋत्य कोण में । योगिनी फछ । धन की हानि करने वाली । सुख देने बाकी । रिक्का चौथ, नौमी और चोदन पश्चमी, दशमी और पूर्णिमा । विशा में । पूर्व दिशा में । दक्षिण दिशा में 1 नाम तिथि । मठी और चतुर्दशी । । सप्तमी और पूर्णमासी द्वितीया और दचमी । अष्टमी और भमायाम्मा । का फल | संख्या । तरफ फल । ३ पीठ की तरफ । पछिस फल को देने वाली । P सम्मुख होने पर । मरण तथा तीक को देने बाकी । चन्द्रमा के निवास के जानने का कोष्ठ ॥ विश्वा में । उचर दिक्षा में । पश्चिम विश्वा में । राधि । मिथुन, तुल और कुम्भ । वृधिक, कर्क और मीन। विठा में । पश्चिम दिशा में । गामम्य कोण में । उत्तर दिशा में | ईशान कोण में । विश्वा में पश्चिम दिशा में । उत्तर विधा में ।
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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