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________________ पञ्चम अध्याय ॥ ७११ विज्ञान-इस कोष्ठ में ऊपर से केवल इतना ही अन्तर है कि-एक वार के पहिले चौघड़िये के उतरने के पीछे उस वार से पाँचवें वार का दूसरा चौघड़िया बैठता है, शेष सब विषय ऊपर लिखे अनुसार ही है ।। छोटी बड़ी पनोती तथा उस के पाये का वर्णन ॥ प्रत्येक मनुष्य को अपनी जन्मराशि से जिस समय चौथा वा आठवां शनि हो उस समय से २॥ वर्ष तक की छोटी पनोती जाननी चाहिये, बारहवाँ शनि वैठे ( लगे ) तब से लेकर दूसरे शनि के उतरने तक बराबर ७॥ वर्ष की बड़ी पनोती होती है, उस में से वारहवें शनि के होने तक २॥ वर्ष की पनोती मस्तक पर समझनी चाहिये, पहिले शनि के होने तक २॥ वर्ष की पनोती छाती पर जाननी चाहिये तथा दूसरे शनि के होने तक २॥ वर्ष की पनोती पैरों पर जाननी चाहिये । जिस दिन पनोती बैठे उस दिन यदि जन्मराशि से पहिला, छठा तथा ग्यारहवाँ चन्द्र हो तो उस पनोती को सोने के पाये जानना चाहिये, यदि दूसरा, पाँचवाँ तथा नवा चन्द्र हो तो उस पनोती को रूपे के पाये जावना चाहिये, यदि तीसरा, सातवॉ तथा दशवॉ चन्द्र हो तो उस पनोती को ताँवे के पाये जानना चाहिये तथा यदि चौथा आठवा और बारहवाँ चन्द्र हो तो उस पनोती को लोहे के पाये जानना चाहिये ।। पनोती के फल तथा वर्ष और मास के पाये का वर्णन ॥ यदि पनोती सोने के पाये बैठी हो तो चिन्ता को उत्पन्न करे, यदि पनोती रूपे के पाये बैठी हो तो धन मिले, यदि पनोती तांबे के पाये बैठी हो तो सुख और सम्पत्ति मिले तथा यदि पनोती लोहे के पाये बैठी हो तो कष्ट प्राप्त हो, इसी प्रकार जिस दिन वर्ष तथा मास बैठे उस दिन जिस राशि का चन्द्र हो उस के द्वारा ऊपर लिखे अनुसार सोने के, रूपे के तथा तांबे के पाये पर बैठने वाले वर्ष अथवा मास का विचार कर सम्पूर्ण वर्ष का अथवा मास का फल जान लेना चाहिये, जैसे-देखो! कल्पना करो किसवत् १९६४ के प्रथम चैत्र शुक्ल पड़िवा के दिन मीन राशि का चन्द्र है वह (चन्द्र) मेषराशि वाले पुरुष को बारहवा होता है इस लिये ऊपर कही हुई रीति से लोहे के पाये पर वर्ष तथा मास बैठा अत उसे कष्ट देने वाला जान लेना चाहिये, इसी रीति से दूसरी राशिवालों के लिये भी समझ लेना चाहिये ॥
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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