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पञ्चम अध्याय ॥ पाँचवाँ प्रकरण-बारह न्यात वर्णन ॥
बारह न्यातों का वर्ताव ॥ ____ बारह न्यातों में जो परस्पर में वर्ताव है वह पाठकों को इन नीचे लिखे हुए दो . दोहों से अच्छे प्रकार विदित हो सकता है:
दोहा-खण्ड खंडेला में मिली, सब ही बारह न्यात ॥
खण्ड प्रस्थ नृप के समय, जीम्या दालरु भात ॥१॥ बेटी अपनी जाति में, रोटी शामिल होय ॥ काची पाकी दूध की, भिन्न भाव नहिँ कोय ॥२॥ सम्पूर्ण वारह न्यातों का स्थानसहित विवरण ॥ नाम न्यात स्थान से सख्या नाम न्यात स्थान से
श्रीमाल भीनमाल से ७ खडेलवाल खडेला से २ ओसवाल ओसियाँ से ८ महेश्वरी डीडू डीडवाणा से ३ मेड़तवाल मेडता से ९ पौकरा पौकर जी से जायलवाल जायल से
टीटोड़ा टीटोड़गढ़ से ५ वघेरवाल बघेरा से ११ कठाड़ा खाटू गढ़ से ६ पल्लीवाल पाली से १२ राजपुरा राजपुर से
मध्यप्रदेश ( मालवा) की समस्त बारह न्यातें ॥ संख्या नाम न्यात सख्या नाम न्यात सख्या नाम न्यात सख्या नाम न्यात १ श्री श्रीमाल ४ ओसवाल ७ पल्लीवाल १० महेश्वरी डीड़ २ श्रीमाल ५ खंडेलवाल ८ पोरवाल ११ एमड़ ३ अग्रवाल ६ वघेरवाल ९ जेसवाल १२ चौरडिया १-इन दोहों का अर्थ सुगम ही है, इस लिये नहीं लिखा है ।। २-सव से प्रथम समस्त बारह न्यातें खंडेला नगर में एकत्रित हुई थीं, उस समय जिन २ नगरो से जा २ वैश्य आये थे वह सब विषय कोष्ठ मे लिख दिया गया है, इस कोष्ठ के आगे के दो कोनों में देश क अनुसार बारह न्यातों का निदर्शन किया गया है अर्थात् जहाँ अग्रवाल नहीं आये वहाँ चिया शामिल गिने गये, इस प्रकार पीछे से जैसा २ मौका जिस २ देशवालों ने देखा वैसा ही वे करते गये. इस में असली तात्पर्य उन का यही या कि-सव वैश्यों मे एकता रहे और उन्नति होती रहे किन्तु केवल पेट को भर २ कर चले जाने का उन का तात्पर्य नहीं था ॥
३-'स्थान सहित, अर्थात् जिन २ स्थानों से आ २ कर वे सव एकत्रित हुए थे (देखो सख्या २ का नोटा
४-इन में श्री श्रीमाल हस्तिनापुर से, अग्रवाल अगरोहा से, पोरवाल पारेवा से, जेसवाल जैसलगढ से. हुमड सादवाडा से तथा चौरंडिया चावडिया से आये थे, शेप का स्थान प्रथम लिख ही चुके है।