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काय गुप्ति
कामशुद्धि के पिना मारण किए लौकिक पक्ष में भी बीब पशु प्राप्त नहीं करसकते देखिये कि काम बामें नहीं है मेही चोरी और न्यमिवार में प्रवृध होते है जिनका फल मत्पक्ष खोगों के दृष्टिगोचर हारा है परि रमक काय वश में होता तो फिर क्यों बेड नाना मकारक मागत । भिया ! काय के बिना बा फि शाम और ध्यान दानों से नहीं प्राप्त होस । क्योंकिबिना हड़ आसनबारे काही कार्य सिद्ध नहीं इसके ।
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पद्यपि ममक मार्गे से आरंमा नाना प्रकार तन्तु कौफिक पक्ष में
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का पाप वक्षणाम् माया गया है क्योंकि पथ और अप यश काप के द्वारा ही प्रत है। काय का दशकमा परमावश्यक है। सो जब कॉप देश में होगयावया संपर बो में होता है
किंग पूर्ण मंदरा पेपरआत्मा धार णपा में २ ।