SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 514
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४८० जैनसम्प्रदायशिक्षा । भगवा-चिरायता, निसोत, सश, बाला, पीपल, वायविडंग, सोंठ और घरकी ना सब मोपों का पूर्ण बना कर शहर में पाटना चाहिये। भयवा-सौंठ, श्रीरा भौर हरर, इनकी चटनी पनाकर भोजन के पहिले सानी चाच भपया-पस्सनाग वो माग, जगई ई सी पाप भाग मोर नसी मिचे नी मग, इन को फूट फर तथा अवरख के रस में घोट कर मूंग के बराबर गोरी बनाना पाहिमें सभा इन में से दो गोमियों को माताकार तथा सार्यकास (दोनों समय) पना से भेना पाहिये, ये गोरियां भामज्वर, सराव पानी के जाने से उत्पन्न मर, भाषा मफरा, मम्बन्ध, शूल, श्वास और कास मावि सम उपद्रमों में फायदा करती है। ज्वर मै तपा (प्यास)–स में पौदी की गोठी को मुंह में रखकर भूसन्ध पाहिये। भवना-मालखारा वा खजूर की गुठरी को घूसना चाहिये । माया-शहद भौर पानी के फरसे परने चाहिये । अथवा-चहरी मारियल की गिरी, स्वाक्ष, सेके (भूने) हुए मैंग, सोना, बिना किस हुए मोती, मैंगिया मौर (मिल सके तो) फासे की पर, इन सप को पिस कर सीप म रस छोड़ना चाहिये सभा घण्टे २ भर पीछे जीम के गाना चाहिये, तत्पमा पारपर के माद फिर पिस कर रस छोड़ना चाहिये और उसी प्रकार जगाना पाहिये, इसस पानी सरे सभा मोती मरे की प्यास, त्रिदोष की प्यास, कटि, भीम का कालापन मार वमन (उसटी) मादि कासाध्य भी रोग मिट जाते हैं तथा यह ओपप रोगी को पुरा के समान सहारा और वाकत देती है। ज्यर में हिफा (हिचफी)-पदि पर में हिपकी होसी दो सो सैनिमक जन में वारीक पीस फर मस देना चाहिये । अपवा-साठ और सारकी नस देना पाहिये । भगवा-नींगकी धूनी देना चाहिये। मनवा-निर्धूम भगार पर हींग काली मिर्ष सभा उदद को माया पोडेकी सूसी सीद को जला कर उस फी धुओं में सपना चाहिये । 1-सपेय से घर वा परो गावोग में समिटाना चाहिये। १-सम्प्र0 बिगो मारराम भार पूष इस पर मुखमरने से भी पाय और पाभरा-पारस (परगर)ीपक भार पो (से ए पास मत परिव पोरस) नसरप्रवरपुरा में इन मारपसानिये यापी तपा ( पाव भियेभा प्रपोप -
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy