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________________ अनसम्प्रदायशिक्षा ॥ १ एनिमा ॥ पिचकारी, पति ॥ ११ पाप।। वाफ, सान। ५ भोस्पम । तेस (सानेफा) ।। १५ पिएस्टर। फफोम उठाना। ६ अंम्वेन्टम ॥ मरहम ॥ १६ मिक्सचर ॥ मिठावट ॥ ७ कन्फेक्सन ॥ मुरमा, अचार ॥ १७ छाइकर ॥ प्रबाही ।। ८ टिंक्चर ।। भई ।। लिनिमेंट ॥ तेल (म्गाने ) ९ रिकोपसन। काना, उकाली।। १९ लोसन ॥ पोतापोने की दवा १० पस्तीस ॥ पूर्ण ॥ २० पाइन ।। आसन ॥ देशी तौल (पजन)॥ १ रती-पिरमीभर ॥ ८ पास-१ चीमनीमर ॥ ३ रची- १ माठ ॥ १५ मार-१ मठमीमर ॥ ३ मार-१ मासा ॥ ३२ बार-१ रुपयेमर ॥ ६ मासा१ ॥ १० रुपमेमर- सेर, पाऊँर, रसन । २ टक-१ सोसा॥ ८० रुपयेमर=१ सेर । १ पास अन्दामन १ धुमभीमर ॥ अंग्रजी तस भोर माप ॥ खुसी दवाइयों की साल ॥ पतन दमाइयों की माप ।। १ प्रेन =१ गईभर ॥ ६० द-भीनीम-१ राम ॥ २० प्रेन = सुपस ॥ ८ राम-१ माँस ॥ ३ सुपर-१ आम ॥ २० मौस-१ पीन्ट ! ८ ट्राम =१ भाँस ।। ८ पीर-१ म्मासन । १२ भांस =१ पाउण ॥ २ मेन -१ रची ॥ ६ प्रेन -१ बाठ ॥ १ भोंस -२|| रुपयेमर ॥ यो प्रबाही (पवली) दमाइया नारीगै मभया पहुत सेम मही होती हैं उनको सापारण रीति से ( पममा मावि मर ) मी पिला देते हैं, उस कम इस प्रकार है १टी सुम म् राम । १ जिर्ट सुन फम्-२ राम । १ टेनुन स्पुन फुर५ दाम भोस । १ पाइलम्सास फुछ-२ मॉस । १-पात भी सपा से प्र माना गया।
SR No.010863
Book TitleJain Dharm Shikshavali Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherShivprasad Amarnath Jain
Publication Year1923
Total Pages788
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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