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जैनसम्प्रदाय शिक्षा ||
शरीर में पायु के पढ़ जाने का गुरूप कारण ठक अर्थात् धर्मी दी है परन्तु कमी २ शरीर में बहुत गर्मी के मन जाने से भी यातु जोर किया करती है, भदसा | शरीर में जम गर्मी के पढ़ने से पायु का जोर मढ़ जाता है और रोगी सभा दूसरे भी स पादी की पुकार करते हैं ( सम कहते हैं कि पानी है पानी है) उस की चिकित्सा क लिये यदि कोई याम्ययेच आकर गर्मी की निवृति के द्वारा वायु की नियुधि करता है सम तो ठीक दी है परन्तु जब फाइ गर्म पेय चिकित्सा करने के लिये भाता दे तो मह भी से पानी की उत्पति समझ कर गम दमा देता है जिस से महादानि होती है, खूबी यह दे कि यदि फाचित् कोई बुद्धिगान् पेच यह कहे कि यह रोग गर्भ के द्वारा उन मुद्द मादी से दे इस लिये यह गम दया से नहीं मिटेगा किन्तु टेढी दमा सही मिटगा, धा उस रागी के घरवाले समदी भी पुरुष येव को गूम ठहरा देते दें और उसकी बताई हुई दया को मजूर नहीं करत दें किन्तु गमगानी गम पाइर्मा देवे ई बिन स गर्मी अधिक पर फर रोग को असाध्य कर देती है, जसे-पिपराम्भी भयंकर गर्मी छ उत्पन्न हुए पानीसरे में शुद्ध रायें और गर्म पैव यो २ लोगों को गुन्हिमे (कु) में छोकर फर दिखाते है जिस से रोगी माया गर दी जाता है, हो यो में से शायद फोइ एक दीपा दी पता है, यदि पत्र भी जाता है था उसको पद भय त गर्मी जन्मभर तक समाती रहती है, इसी मकार गर्मी के द्वारा जब कभी धातु का विकार होकर पुरुपत्य का नाश होता है, उपबंध, और सुग्रास से अभ्रा भय और चिन्ता से बहुत से आदमियों का मगज फिर जाता है विचारवायु हो जाता है, पागलपन हो जाता है धन ऐसे रोग पर भी अम्मान लोग और मान से हीन ऊँट पेच अभिद कर एक गर्म दमा दिये जाते है जिस से पीमारी का घटना सा दूर रहा उसटी वायु अधिक पड़ जाती है जिस से रोगी के और भी सरानी उत्पन्न होती है, क्योंकि इस प्रकार के रोग मामा मगन के सभी पड़ जाने से तथा भातु के नाम से होते है, इस लिये इन रोगों में तो मग भार पातु भरे हम दीपाशु मिटकर खादा कसा है, इसी लिये मगन पुष्ट करनेवाला, भ्रपट लानेवाला और aram parज इन रोगों में पतलाया गया है, परन्तु मूस पैप इन पास को कह से जाने ?
मानव बहुत जुलाब के अयोग्य शरीरपाले का बहुत गुलाम दे वद बिरा से दश और मरोड़ का रोग हो जाता है, भाग सभा सून छूट पड़ता है और कछ बार भोर्ट फाम न कर भक्षक हो जाती है, जिस से रागी मर जाता है ||
एक रोग दूसरे रोग का कारण ॥
जसे बहुत से रोग भाहार विहार विरुद्ध पधाय से सतप्रतया विई उसी मफार दूसरे रोगों से भी अन्य रोग पेश दावे हैं, जसे बहुत साने से जपपा अपनी