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( १ ) जब चौपी रघु ने पाप पाप लिये तब उस ने मी वासरी मी वर विचार रिया, भिन्तु पन पापों में अपने इस पर पुरुषों को पता कर पा मिप ! इन पापी पापों से तुप ने मामो मोर बोयसा एर क्यारा पना र रिषि कप मुतु माने पर इत्तफा गीन दो, फिर पवा पिपि त्रिपाएं पर बामो भवता में हमारे से पाम्प न मांगल- इस जमे से पापन्मान पाम्प हो जाएं ये सप बीमवे मामा !
दास पुग्मों ने इस मामी को मनार मन स्पिा फिर से उसी पार पाप पर्यन्त परवे मर।,
पांच वर्ष उन पांचों पायों की मुवि ची मर्मा मान्यों मरनए। ये दास प्रामविणे पर्व समाचार भीमती राहिण देषी
" भब पांच वर्ष मवीव होगप-ब मामात रोठयो शादी समय अपने मन में सोए पके पे मापारावरे सपी नीद सुधर्मा र ग्न: मम में पा भाष समाइए रि-मैंने गत पाप में अपनी पर
पास्वे नको पांच २ पाप दिए थे, अब देने