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के हस्तीपात राजा की शुक्रशाला में किया इस चतुर्मास बहुत विषयों पर उपदेश किये 1 कार्तिक कृष्ण - १५ पंचदशी - की रात्रि में १५५ अध्याय कर्मविपाक के और ३६ अध्याय उत्तराध्ययन सूत्र के वर्णन करके श्रीभगवान् निर्वाण होगए ।
उसी समय १८ देशों के राजे श्रीभगवान् के पास पौषध करके बैठे हुए थे जब उन्होंने श्रीभगवान् निर्वाण हुए जानलिए ! तब उन्होंने रत्नों का द्रव्य उद्योन किया तब ही श्रीभगवान् महावीर स्वामी की स्मृति में "ढीपमाला " पर्व स्थापन किया गया जो आज पर्यन्त अव्यवच्छिन्नता से चला आता है । श्रीभगवान् ७२ वर्ष पर्यन्त इस धरातल का सुशोभित करते रहे ! उन्हों का इन्द्रों वा मनुष्यों ने मृत्यु सस्कार बड़े समारोह के साथ श्रग्नि द्वारा किया सो हरएक भव्य आत्माओं योग्य है कि - श्रीभगवान् की शिक्षाओं से पवित्र बनाएँ और सबके हितैषी बनें श्रीभगवान् सव जीवों के हित के लिए निम्नलिखित आठ शिक्षाएँ करगए हैं। जैसे कि
अपने जीवन को क्योंकि - शास्त्रों में