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पिनप करने से शान की मी शीत पाक्षि मानी पिनय से सस्पप में मामो भाता है, जैसे पुपर्म और रोपीहर पकाया रहती हैमी प्रकार मिनपवान् की पी इचा सम का लगी वीसी प्रतिष्ठापा भावी पास के लिए भापार रूप रोमावा है-शापों में पीसा के पारण से पा सप मानों पर पादर पावारेमाएप! सब भीबो को गिनपान होना पाहिये।
१४-कम-कवा मा पाहिये-मिस म किसी समय सपकार कर दिया है सस सो विमत न करना पार-~अपितु उस किए इए पकार । स्मरण पर उसका सपकार रिशेप मामना पारिये, पपीकिशास्त्रों में लिसा कि-पार कारणों से मास्मा अपमे एणों का नाश पर पैठन (मैसे हि-अपरम से, और इसों की पा करम से २, पिणाम ३, सन ऐम स सवा सपामाई भी पापमही बवाया गया इस सिप ! तमामा पारिप । पपिण मोकवान हो र पिरणास पात्र मी राये मोर मैस
सी पनि बोड़ भागे पासपहुये सराबर का पषि मारमा पसी पकार मान पुरस वा सम्मन