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स्तवनावली. एए वन प्रनु तारेरे॥श्री शंखेश्वर ॥श्रांचली अश्वसेन वामाजीको, नंदन चंदन रस सम सारेरे॥ अनीयाली तोरी अंबुज अखीयां, करुणा रसजरे तारेरे ॥श्रीशंखेश्वर ॥१॥ नयन कचोले अमृत रोले, नविजन काज सुधारे ॥ नवि चकोर चित्त हो निरखी, चंद किरण सम प्यारेरे ॥ श्री शंखेश्वर ॥२॥ तेरोही नाम रटतहुँ निशदिन, अन्य आलंबन गरेरे ॥ शरण पड्ये को पार उतारो, एसो विरुद तिहारेरे ॥ श्री शंखेश्वर ॥३॥ चमत चमत संखेश्वर स्वामी, पामी चम सब डारेरे॥ जनम मरणकी नीति निवारी, वेग करो जव पारेरे ॥ श्री शंखेश्वर ॥ ४ ॥ श्रातमराम आनंद रस पुरण, तुं मुज काज सुधारेरे ॥ अनहद नाद बजे घट अंदर, तुंही तुंही तान जच्चारेरे ॥ श्री शंखे. श्वर ॥५॥इति ॥