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वादश भावना.
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थानारी ॥ सखी० ॥ १ ॥ बित्रिचतु पंच इन्द्री सुकर | क्रम सें तिरयग माना री ॥ सखी ० ॥ २ ॥ नरजव आरज देश सुजाति । इन्द्रिय पटुतर गानारी ॥ सखी श्र० ॥ ३ ॥ लंबी आयु कथक श्रवण गुन | श्रद्धा सुचितर ठानारी ॥ सखी ० ॥ ४ ॥ तत्त्व निश्चय वोधि रतन सुदंकर | शिव सुख की खानारी ॥ सखी ० ॥५॥ दुर्लन वोधि जावना जावे । तो तूं आतमरानारी ॥ सखी श्र० ॥६॥
इति वोधि दुर्लभ जावना ॥ इति वार जावना.