SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तावना. 'परम उपकारी महात्माश्री ( विजयानंदसूरि) आत्मारामजी महाराजे जारत वर्षनी जैनप्रजा उपर जैन दर्शनना तत्वज्ञानना अने परमात्मानी नक्तिना अनेक ग्रंथो लखी जे उपकार कर्यो बे, ते श्रवर्णनीय बे. आत्महितैषिउने श्रात्महित करवानुं साधन जेम तत्वज्ञानना ग्रंथोनुं दोहन बे, तेम देवाधिदेव परमात्माना गुणोनुं कीर्तन अने नक्ति ए पण प्रबल साधन बे, अने आ बंने साधनो नवसमुजमा तरवाने माटे उत्तम बे. _नकिनां वीजां साधनोमां नावपूजा मुख्यत्वे बे, तेना साधनन्नूत स्तवनादिक होवाथी तेनो दरेक नव्य मनुष्यने श्रन्यास करवानी श्रावश्यकता ,एम जाणी खर्गवासी श्राचार्य महाराज विजयानंद सूरीए अनेक पूजाउँ बनावी जेम उप
SR No.010857
Book TitleChaturvinshati Jinstavan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy