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________________ स्तवनावली. ॥अथ श्रीसमेतशीखरजी, स्तवन। वसगीया वसगीया वसगीयारे मेरामनवा । मेरामनवा शीखरपर वसगीयारे ॥ मे ॥ आंकणी ॥ समेतशीखरगिरीवरकोनेटी। थानंद हृदयमें नरगीयारे ॥ मे ॥ १॥ धन्यघडी दिन श्राज हमारो। तीरथन्नेटी तरगियारे ॥ मे ॥२॥ वीसे टुंके वीस जिनेश्वर । अजितादि प्रनुचमगीयारे ॥ मे ॥३॥अणशणकरके कारजअपना । योगसमाधी से करलीया रे.॥ मे ॥४॥ अनंतवली जिनवरको जाणी। मोदराय पिणडरगीयारे ॥ ५ ॥ करम कटण कल्याणिकनूमी । सवजिन वरजी कगयारे॥ मे ॥ ६ ॥पुन्योदयसेंपाश शामला । समेत शीखरपे दरशकीयारे ॥ मे ॥ ॥ वीरविजय कहे तीरथ फरसी। श्रातम आनंद लेलीयारे ॥ मे ॥७॥ इति संपूर्ण ॥
SR No.010857
Book TitleChaturvinshati Jinstavan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages216
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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