________________
[ २५
-
द्वितीयो वर्गः] भाषाटीकासहितम् ।
wwmarria प्रज्ञप्तः ? एवं खल्लु जम्बु ! श्रमणेन यावत्संप्राप्तेन द्वितीयस्य वर्गस्यानुत्तरोपपातिक-दशानां त्रयोदशाध्ययनानि प्रज्ञप्तानि । तद्यथा-(१) दीर्घसेनः (२)महासेनः (३) लष्टदन्तश्च (४) गूढदन्तश्च (५) शुद्धदन्तः (६) हल्लः (७) द्रुमः (८)द्रुमसेनः (९)महाद्रुमसेनश्च (१०) आख्यातः सिंहश्च (११) सिंहसेनश्च (१२) महासिंहसेनश्चाख्यातः (१३) पुण्यसेनश्च बोद्धव्यः । त्रयोदश भवत्यध्ययनानि ।
पदार्थान्वयः-णं-वाक्यालङ्कार के लिए है भंते-हे भगवन् । जति-यदि जाव-यावत् संपत्तेणं-मोक्ष को प्राप्त हुए समणेणं-श्रमण भगवान् ने अणुत्तरोववाइयदसाणं-अनुत्तरोपपातिक-दशा के पढमस्स-प्रथम वग्गस्स-वर्ग का अयमद्वेयह अर्थ पण्णत्ते-प्रतिपादन किया है तो फिर भंते-हे भगवन् । दोचस्स-द्वितीय वग्गस्स-वर्ग अणुत्तरोववाड्यदसाणं-अनुत्तरोपपातिक-दशा का जाव-यावत् संपतेणं-मोक्ष को प्राप्त हुए समणेणं-श्रमण भगवान ने के अटे-कौनसा अर्थ पण्णत्तेप्रतिपादन किया है ? सुधा स्वामी कहते हैं कि जंबू-हे जम्बू ' एवं-इस प्रकार खलु-निश्चय से जाव-यावत् संपत्तेणं-मोक्ष को प्राप्त हुए समणेणं-श्रमण भगवान् दोच्चस्स-द्वितीय वग्गस्स-वर्ग अपुत्तरोववाइयदसाणं-अनुत्तरोपपातिकदशा के तेरस-तेरह अज्झयणा-अध्ययन पण्णत्ता-प्रतिपादन किये है तं०-जैसे-दीहसेणेदीर्घसेन कुमार महासेणे-महासेन कुमार य-और लट्ठदंते-लष्पदन्त कुमार य-और गूढदंते-गढदन्त कुमार सुद्धदंते-शुद्धदन्त कुमार हल्ले-हल्ल कुमार दुमे-द्रुम कुमार दुमसेणे-द्रुममेन कुमार य-और महादुमसेणे-महाद्रुमसेन कुमार आहिये-कथन किया गया है य-और सीहे-सिंह कुमार य-तथा सीहसेणे सिंहसेन कुमार महासीहसेणे-महामिहसेन कुमार आहिते-प्रतिपादन किया गया है य-और पुन्नसेणेपुण्यसेन बोद्धब्बे-तेरहवा पुण्यसेन जानना चाहिए । इस प्रकार तेरसमे-तेरह अज्मयणे-अध्ययन होति-होते है।
मूनार्थ हे भगवन ! यदि मान को प्राप्त हुए श्रमण भगवान ने अनुत्तरोपपातिक-दशा के प्रथम वर्ग का पूर्वोक्त अर्थ प्रतिपादन किया है तो मोन