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प्रथमो वर्गः] भाषाटीकासहितम्।
[ १९ •ri mix or पहले आए हुए विपय का यहां केवल संकेतमात्र दिया गया है। इसी बात को ध्यान मे रखते हुए सूत्रकार ने यहां संक्षिप्त वर्णन दिया है यह जान लेना चाहिए ।
अब शङ्का उपस्थित होती है कि जब मेघकुमार भी जालि अनगार के समान अनुत्तर विमान मे ही उत्पन्न हुआ था तो मेघकुमार का वर्णन 'ज्ञाताधर्मकथागसूत्र' मे क्यों दिया गया ? उत्तर में कहा जाता है कि मेघकुमार का वर्णन छठे अङ्ग मे इसलिए किया गया है कि उसमे धर्मयुक्त पुरुषों की शिक्षा-प्रद जीवन-घटनाओं का वर्णन है । उनमे से मेघकुमार के जीवन मे भी कितनी ही ऐसी शिक्षाएं वर्णन की गई हैं, जिनके पढ़ने से प्रत्येक व्यक्ति को अत्यन्त लाभ हो सकता है । किन्तु अनुत्तरोपपातिकसूत्र में केवल सम्यक् चरित्र पालन करने का फल बताया गया है। अतः मेघकुमार के चरित्र मे विशेपता दिखाने के लिए उसका चरित्र नवें अग में न देकर छठे ही अङ्ग मे दे दिया गया है ।
जो व्यक्ति इस सूत्र के अध्ययन के इच्छुक हों, उनको इससे पूर्व 'ज्ञाताधर्मकथागसूत्र' के प्रथम अध्ययन का स्वाध्याय अवश्य करना चाहिए। यह सूत्र इतना सार-पूर्ण है कि इससे व्याकरण पढ़ने वालों को समासान्त पदों का भली भांति बोध हो सकता है, साहित्य के अध्ययन करने वालों को अलङ्कारों का, इतिहास के जिज्ञासुओं को पच्चीस सौ वर्ष पहले के भारतवर्ष का, धार्मिक पुरुषों को अनेक धार्मिक शिक्षाओं का, नीति के जिज्ञासुओं को साम दाम दण्ड और भेद चारों नीतियों फा भली भांति वोध हो सकता है । न केवल इतना ही बल्कि शिल्पी व्यक्तियों को अनेक प्रकार के शिल्प और कलाओं का, काम-शास्त्र के जिज्ञासुओं को तरुणी-प्रतिफम और धार्मिक-दीक्षा आदि महोत्सव मनाने वालों को अनेक प्रकार के महोत्सव मनाने का पता लग जाता है । इसी प्रकार इस सूत्र से पुण्यात्माओं को पुण्य और पापात्माओं को पाप का फल भी ज्ञात हो जाता है । पुनर्जन्म न मानने वालों को उमकी सिद्वि के अत्युत्तम प्रमाण इसमे मिल सकते हैं । अध्यापक लोग भी इमसे प्राचीन अध्यापन-शैली का एक अत्युत्तम चित्र प्राप्त कर सकते है । कहने का नात्पर्य यह है कि कोई व्यक्ति जो इम मूत्र का स्वाध्याय करेगा, बिना कुछ प्रान किये निगम नहीं जा सकता । अतः प्रत्येक को इमका म्वाध्याय अवश्य फरना चाहिए । टमी वान फो लक्ष्य में रखते हुए सूत्रकार ने यहां इस विषय का अधिक विम्नार नहीं किया। क्योंकि यदि आशंक्षा रहेगी तो पाठक अवश्य ही उसको पूर्ण करने के लिये उन