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अनुत्तरोपपातिकदशासूत्रम्
६०
१३, ८०, ६०
७२
कहेति कहता है काउस्सग्गं कायोत्सर्ग, धर्म-ध्यान काकंदी = काकन्दी नाम की नगरी काकजंघा = कौवे की जाँघ, काक-जङ्घा नामक पघि विशेष कागंदी = काकन्दी नाम की नगरी कागंदी = काकन्दी नगरी में ३५, ४६, ८६ ariदीओ = काकन्दी नगरी से कायंदी = काकन्दी नगरी
१३ | खलु = निश्चय से ८, १२, १३, २४, २७२, ३२, ३४, ७२१, ८०१, ८६, ६४ खीर-धाती = दूध पिलाने वाली धाय ३५ ५३ | गंगा-तरंग-भूए गड्ढा की तरहों के समान हुए
३४
गच्छति = जाता है
४६
गच्छिहिंति = जायगा
कायंदी गरीए = काकन्दी नगरी में कारेति बनवाती है।
कारेल्लय छल्लिया = करेले का छिलका
१ काल = काल, समय
२ कालं = मृत्यु (से) काल-गते - मृत्यु को प्राप्त होने पर काल-गयं = मृत्यु को प्राप्त हुआ काल-मासे = मृत्यु के समय कालि - पोरा-कालि - वनस्पति विशेष का
पर्व (सन्धि-स्थान )
काहिति = अंत करेगा किच्चा = करके
४५ |गणिज - माला - गिनती की माला ४५ | गणेज-माणेहिं गिने जाते हुए ३७ | गते गया
कुंडिया- गीवा= कमण्डलु का गला
कुमारे= कुमार के = कौनसा केणट्टे = किस कारण केवतियं = कितने कोणितो=कोरिणक राजा संदओ = स्कन्दक सन्यासी खंदग- चत्तव्वया = जो कुछ
५३
कालेणं=काल से, समय से (में) ३, १२, २७,
३४, ३६, ७११, ७२,
८६, ६०
७२
६४ गामानुगामं = एक गाँव से दूसरे गाँव १३, ८० गिलाति=खेद मानता है, दुःखित होता है ६७ गवाए ग्रीवा की, गर्दन की
१३, ८०
६१
१६
१३, ८०
१३ | गुण- रयण = गुण-रत्न, तप
१३ | गुणसिलए, ते = गुणशिल नामक चैत्य या उद्यान १२, २७, ७१, ६०
२४
१३
३८
२७
१३, ८० ६१
८, २७
३, ११, २४, २७, ३२, ३४
७२
१३, ८०
३६
६७,८०
|
|
|
स्कन्दक
सन्यासी के विषय में कहा गया है १६
खदतो = स्कन्दक सन्यासी ४६,८६ खंदयस्स=स्कन्दक सन्यासी का ( वर्णन )
|
गूढदंते = गूढदन्त कुमार गेहंति = ग्रहण करते हैं गेरहावेति = ग्रहण कराती है
गेवेज-विमाण पत्थडे = ग्रैवेयक देवता के
६७
६७
१३, ८०
६७
महावीर स्वामी के मुख्य शिष्य
गोतमा - हे गौतम!
निवास स्थान के प्रान्त भाग से १३, ८० गोतम- पुच्छा - गौतम का पूछना गोतम - सामी = गणधर गौतम स्वामी, श्री
६०
गोतमे = गौतम स्वामी
गोयमा = हे गौतम !
गोयमे = गौतम स्वामी
६७
१३
༥
गोलावली = एक प्रकार के गोल पत्थरों की पङ्क्ति
चउदसहं = चौदह का
चंदिम - चन्द्र विमान चंदिमा = चन्द्रिका कुमार
४५
४६,८०
is is ism gim
१३, ८०
१३
५५
७२
१३, ८०
३२