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नमोत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स
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अनुत्तरोपपातिकदशासून
शब्दार्थ-कोष अ-और
३२ । अझयणे अध्ययन अंगस्स-अङ्ग का
३, | अट्ठ-आठ अंगाई-अगों का १६,४६, ८६ | अट्टओ-आठ-आठ अंतं अन्त, देहावसान, मृत्यु २७ / अट्टाहं आठ के (विपय में) अतिए, ते समीप, पास, नज़दीक ३६, ४६, | अट्ठमस्स-आठवें का
७२, ७३, ८६ अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए-हड्डी, चमड़ा और अंतेवासी-शिष्य १३ नसों से
५१, ६४ अंव-गट्रिया आम की गुठली ६१ | अट्री-अस्थि, हड्डी अंव-पेसिया आम की फाँक
| अटे-अर्थ ३०, ११, २०, २४२, २७९,३२२, अंबाडग-पेसिया आम्रातक-अम्बाड़े की
३४, ७३, ८१, ६५ फाँक
अडमाणे-घूमता हुआ (भिक्षा के लिए) ४५ अकलुसे क्रोध आदि कलुपों से रहित ४६ | अड्डा-ऋद्धि अर्थात् ऐश्वर्य वाली ३५, ८६ अक्खयं-कभी नाश न होने वाला ६५ | अणंतं अन्त-रहित, कभी नाश न होने अक्खसुत्त-माला-रुद्राक्ष की माला ६७ वाला
. ६५ अगत्थिय-संगलिया-अगस्तिक वृक्ष की
अणगारं-अनगार'को '.८, १३, ७३ फली
| अणगारस्स-अनगार-माया-ममता को अग्ग-हत्थेहि हाथ के पञ्जो से ६७ | | छोड़कर घर का त्याग करने वाले अच्छीण-ऑखों का
साधु का ५१, ६४, ७२, ८० अज-आर्य
| अणगारे अनगार ८, १३, ३६, ४२२, ४५, अज्झयणस्स-अध्ययन का ११, ३४,८१
४६,४६, ६७, ७२,७३, ८६ अज्झत्यणा-अध्ययन ८, ११, २४, २६, | अणझोववरणे-राग-द्वेप से रहित,
___३२, ३४ विपयों में अनासक्त