________________
82
याधुनिक विज्ञान और अहिमा
मानवता गताब्दियो तक अनुमाणित हो सकती है।
इस प्रकार विचार करने पर तो आधुनिक विज्ञान मानव जाति के लिए भयकर अभिशाप ही प्रमाणित हुआ । उनका यत्किचित् वरदान भी मानव को मृत्यु के विनान की ओर ले जाने में ही सहायक हुा । दृष्टव्य यह है कि मनुप्य मावुनिक विनान के वरदान को विनागोन्मुखी न बनाकर विकासोन्मुखी कैसे बना सकता है ? इसकी दुनरी अवस्था ही इसे वरदान की कोटि मे प्रविष्ट करा सकती है।