________________
सनह
वैज्ञानिक विजय
प्रतरिक्ष म मानव की सफल यात्राएं
पिन की अभूतपूर्व प्रगति के गौरवशाली इतिहास में 12 अप्रल, 1001 का दिन स्वर्णाभरा म मक्ति दिया जाए। जवकि पूरी गागागि, एक रूसी युवक ने 108 मिनट तर प्रतरिक्ष मे सुराद यात्रा कर पृथ्वी पर सकुधन वापस मा जान का महान् गौरव प्राप्त किया।
कुछ ही समय पूर ऐलन रोपड व ग्रिसम नामक दो अमेरिखन युवका न परिक्ष यात्रा पर चन्दलोर की याया म दो नप अध्याय जाड़े हैं।
इस प्रकार बच्चा पल्पसा लार के मामा तथा अपनी ममत-तुल्य पोतस पोर शुभ्र किरणा के पारण मुदरिया के सौन्दय से प्रतिमानमूत चरस रहस्य का पदा हट गया। रहस्य के उद्घाटन का कायम तारी अक्टूबर, 1960 को ही उठ गया था, जव म्स द्वारा मेन गए 'स्युनिकर तृती" चिद्र के पदृश्य भाग वे चित्र रूसिया को भेंट पिए । लेग्नि इन वीर प्रतरिमायाप्रिया गीनिर तर सफा पानापान मानय को प्रतरिक्षम सम्बन्धित रल्पनामा यो तिलाजलि दार वास्तविक तप्पा साचन के पिए चाय पिया है पौर रूस की यह पाति प्राति पर मानर विजय की पार है। जयामि थी नहरम गारिनी सफार यात्रा के परमहा था मितरिम पारद्वारा मानव का मेजना मोर मारा उम जमीन परममा मानिता द्वारा उतार सेना पति पर मानर की महान विनय
सिक पातु मगस्त, 1981 कामासो समय अनुसार नो बर बर माता पाएर पा प्रतरिक्ष यान बास्तोर पृथ्वी की परिरमारना छोड़ा। उस पलसिया मा पानर मावियत नाशिमर पमान भिवोर पा रहमपनी उड़ान समुरत्या का पूरा