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आज का युग द्वाग प्रतिपादित घम अपनी वास्तविक्ता खो वठता है। इनका स्थान रुढि
और ज्ञानहीन परम्पराए ले लेती हैं। भारत मे धम के नाम पर जातिवाद और मानव-मानव में भी भेद को वल्पना को, रूढि प्रावल्य के कारण ही, प्रथय मिना । परिणामस्वरूप वुद्धिजीवी वगधम के प्रति वफादार रहने की भावना से दूर हटता गया। विज्ञान की प्राभातिर विरणा ने धम के स्वर्णोदय से नवीन चेतना और सस्वारा सा बल दिया।