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________________ सुधारक तुलसी ૪૨ 1 प्रार्थिक दशा सुधरे। इस योजना के लिए मावश्यक या कि सम्बरित्र, परहितरत, कम्पयरायण सदाचारी नेता, हानिम, कापारी, शिक्षक, कारोगर मादि देश के विकास की बागडोर भरने हाथ में लें। यदि इन वर्गों मे सदाचार की कमी हुई तो देश का वि न होकर प्रति हो जाएगा और देश उन्नति की पोर अग्रसर नहीं हो सकता । दुर्भाग्यवश जिस समय यह सुप्रवसर पाया और माया हुई कि सब इतने वर्षों के कठोर परिश्रम पोर त्याग के फलस्वरूप देश की उन्नति होगी मोर गरीबी मिटेगी, उस समय देखा गया कि कर्मचारियो, नेताओं, م مكه रियों मादि में मनाधार और स्वायं को वृद्धि हो रही है । नयोकि प्रब नए नित्य नये एवसर माने लगे। भगर यही क्रम बना रहा तो नई का कोई लाभ न होगा और उनकी सफलता सदिग्ध बन जाएगी । रों पोर महो भावाज उठने लगी कि शासन को इस प्रकार के मगरचाया जाए मोर भ्रष्टाचार (Corruption ) को दूर किया जाए । जय में माचार्य तुलसी ने अपने प्रयुत-भान्दोलन को प्रबल दिया मोर कि सदस्यों को पुन सदाचार की पोर प्रेरित किया । प्राचार्य तुलसी पहले ही शुरू कर दिया था, पर इसकी प्रधानता और गतिशीलता स्वाद, विशेष रूप से बढ़ी । इनका यह भान्दोलन अपने ढंग का म के सहारे व्यक्ति को ये व्रतो बनाते हैं और उसको इस प्रकार | मोर कुरीतियों से अलग करके सदाचार की भोर प्रग्रसर पटे होते हैं, पर इनका प्रभाव बहुत ही गम्भीर होता समाज के जीवन में प्रान्ति वा देता है । व्यापारियों, सरकारी थियों भादि मे यह प्रान्दोलन चल चुका है और इसके प्रभाव प्रा चुके हैं। प्राज इमको महता स्पष्ट न जान पड़े, पर कल । मसर पूरी तरह दिखाई पड़ेगा, जब समाज पुनः सदाचार P | होगा और भविष्य में प्राज की बुराइयों का मस्तित्व उनके शिष्य मुनिगरण का कार्य भविष्य के लिए के संगठन के लिए सहायक है । इसकी सफलता देश के है, यह सफल होगा और प्राचार्य तुलसी सुधारकों को के इतिहास मे बराबर उन्नति लाते रहे हैं, अपना । उनके उपदेश और नेतृत्व से समाज गौरवशील बनेगा ।
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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