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________________ प्रायो Prifts mnt iTktrn Apna गोना Main . THERE मा14 hrtainment मरियाई भूक मसको link को IFTTER यमाचरण ofinant मोगमारन ), डिसवर पम्म) सो पृषी 3) REAT reifa K4fr) वामा पानी का सामना का प्रार मामी antr पार पाने की कामना व मायाय कनियानि गरम्य सकारते मना स्मरत। गियामसरमा मिभ्याRI H अपने-गौला मियापनपने एक बात औरों में भी विमान उलग्न करे, तो इसमें पाप हो का है। विनी महानतामातिनाम परकी गत हपने जो हमारका परही है यह मिपावरना होना है और इसीलिए पूर्व यत्रा पाचन में पारस्परिक किमया नितान्त नाम होकर पर की भावना उदा हा उठी है। भारत में मात्र सर्वोत्कृष्ट प्रजातन्त्र शिसमान होते हए भी प्रग (जनता) मुखो एव सन्तुष्ट क्यो नही है। मान के लिए इतर कड़े कानून लाग हान पर और केन्द्र द्वारा इतना अधिक प्रोत्साहन किये जाने पर भी यह पयों नहीं दिखाई पवा? भ्रष्टाचार रोकने के लिए प्रशासन कोमोरस इतना मधिक प्रयास किये जाने पर भी वह कम होने के स्थान में बड़ क्यों रहा है । । इन सबका मूल कारण मिथ्याचरण नहीं तो मोर क्या है? भान्तरिक पथवा मात्मिक विकास किये बिना केवल बाह्य-विरास बन्धन-मुक्ति वा साधन हो सकता । विज्ञान तथा प्रण शक्ति का विकासमात्र ही उत्थान का एकमात्र साधन नहीं है। अणु-शक्ति (विज्ञान) के साथ-साथ माज प्रणवत (तिक माचरण) की अपनाना भी उतना ही, अपितु उससे कहीं अधिक महत्त्व रखता है, जितना ' महत्व हम विज्ञान के विकास को देते है और जिसे राजनीतिक स्वतन्त्रता के
SR No.010854
Book TitleAacharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1964
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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