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________________ नपदेश कारक कहानी सद्याय. (३३७) - - - - - - - - - - -- - - - - - - तर प्रकार रे॥०॥ अंगपूजा सारुतणी रे साल, कीजे हर्षअपार रे॥ जापाजीव श्रमारी पलावीय रे सास, तिपथी शिवसुख होय रे। न०॥ दान संवत्सरी दीजियें रे सास, श्ण सम पर्व न कोय रेशन ॥ पणा काउस्सग्ग करीने सांजलो रे लाल, आगम आपणे कान रे॥ ज॥ श्रम तप श्राकरां रे लाल, कीजियें उज्ज्वल ध्यान रे ॥ ना प० ॥१०॥ण विधे जे आराधशे रे लाल, ते लहेशे सुख कोडि रे ॥०॥ मुक्तिमंदिरमें मालशे रे लाल, मतिहंस नमे कर जोडि रे ॥नणापणार॥ ॥अथ श्री जिनवईन कृत उपदेशकारक कहानी सचाय प्रारंनः॥ ॥सोरग || कका करमनी वात, करी कमाश्नोगवो ॥ शुल अशुन । जे होय, नोगव्या विण नहि बूटको ॥१॥ खण खण आयु जाय, चे त, होय तो चेतजे ॥ वाजनी पेठे ग्रहे जीव, जिहां मूक्युं ते तिहां रहे ॥।॥ गुरुनां वचन मन आण, गुरु विण ज्ञान न पामोयें ॥ गुरुथी उत रिश पार, सशुरु वचन हिपडे धरे ॥३॥ घर कुटुंब परिवार, स्वारथीयो सहु को सगो। ताहारो न दीसे कोय, लोगवीश प्राणी एकलो ॥४॥ नन्ना न करीश नेह, परनारीशुंप्रीतडी ।मन चित्त राखी गम, परनिंदा तुं परहरे ॥५॥ चच्चा तुं चार निवार, शोध लोन मद मोहने ॥ चार दावानल जाण, करी कमाई हारीयें ॥६॥ बोड तुंसकल संसार,ए संसार असार ठे॥ तुं जाणे मन सार, जगमां को कहेनुं नथी ।॥ ७ ॥ जन्म्यो वार अनंत, अनंता नव तें कस्या । दन नेदन अपार, पार न पाम्यो ते हनो ॥७॥ मुस्खो सयस संसार, जागीने जोयुं नहिं ॥ खूतो मोहनी जाल, जन्म मरण नवि उलख्यो ।ए। निसवट लखिया लेख, कोणे म टाया नहिं मटे ॥ जो जाल देश विदेश, हाण वृद्धि साथे चले ॥१णा टा स तुं कुगुरु कुदेव, सरु साचो जाणीने ॥ दे जो धर्म नपदेश, तो मुक्ति तणां फल पामशे ॥२१॥ वाले हाथ जे जाय, पामी धन नवि जे दिये। मरीने विषधर थाय, धन ऊपर परवी रहे ॥शा संश हिये मत राख, में शथी उर्गति पामीये । श दावानल जाण, करी कमाई हारिये ॥१३॥ ढूंढत सयस संसार, निःस्पृही कोई नाहिं मिल्यो । तिसका वंडूं पाय, जे हे मस्यो ते लालची ॥ १४ ॥ रणनी वाटे जाय, प्राणी जावु एकदुं ॥सं बस लेजे साथ, आगल नथि हाट वाणीयो ॥ १५ ॥ तज तु राग ने - - - - - - - - ४३
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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