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(३२)
सद्यायमाला.
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. . . .|| ढाल पहेली॥ ... . ॥ सासु नणदीने पूबशे रे वाला, तेहनें उत्तर श्यो देश रे॥ कामण गारा रे जावा' नहिं दजं ॥ ए देशी॥ माय कहे श्रावचा प्रत्ये रे वाला, सांजलो माहारी वात रे ॥बातमना प्यारा, माहारा रे वाला, सोलागी सुजात रे॥१॥ पुत्र वाला रे, मीग बोला रे, मोहनगारा रे, आज्ञा नही दलं ॥ ए आंकणी॥वत्रीशे नली जामिनी रे वाला, नोगवो इणझुं जोग रे ॥ दिवस नहिं ए योगना रे वाला, वृद्धपणे लेजो योग रे ।। पु० ॥मी॥मो॥ आ॥२॥ रयण सोवन मोती घणां रे वाला, धननो नहिं पार रे ।। खा पीठ सुकृत करो रे वाला, खरचो इण संसार रे॥ पु० ॥मी मो॥आ॥३॥ सुख आव्यां जे हाथमा रे वाला; परजव चित्त केम जाय रे ॥ केड न मूकुं पुत्रनी रे वाला; स्त्री मन आशा थाय रे ॥ पु०॥ मी०॥ मो॥आ॥४॥साधु मारग ने दोहिलो रे वाला, जेहवी खजनी धार रे ॥ पंचमहाव्रत मोटका रे वाला, उक्करता था चार रे ॥ पु०॥ मी० ॥ मो॥ ॥५॥ बावीश परिसह जीतवा रे वाला, लोचेवा शिर केश रे॥जात पाणी लेवां सूजतां रे वाला, ब्रह्मदत्त केम पालेश रे॥ पुण्॥मी०॥ मो॥था॥६॥ मोहतणे वश माय क हे रे वाला, एणीपरें वचन सुहेत रे ॥ नोगथकी जो उसख्या रे वाला, वात न आवे चेत रे । पु० ॥ मी० ॥ मो० ॥७॥
॥ ढाल बीजी। || आवोने नेमजी नाहला ॥ अथवा बारमासानी देशी ॥ मावडी रे जे कहो लो ते साचुं सही, माहरे न आवे दाय ॥ मोरी माता॥ संयम लेगुं मातजी ॥ साचा जेम सुख थाय ॥ मोरी माता ॥ १ ॥ थावञ्चो || कहे रे माता प्रत्ये॥ ए आंकणी॥ मावडी रे, विषयखूता जे मानवी, तेहने दोहिलो होय ॥ मो ॥ शूरा नरने सोहितो, संयम विचारी जोय ॥ मो॥ था ॥३॥ मा || ए संसार असार , कुःखमाहे पूख्यो जे लोक ॥ मो०॥ जनम जरा जयःमरणनो, देहमांहे डे बहु रोग ॥ मो॥ था० ॥ ३॥ मा॥ लखमीचंचल जाणीयें, विजली जेम जबकार ॥ मो॥अथिर कुटुंबनी प्रीतडी, आखर धर्म आधार । मो० ||॥ या॥४॥मा ॥ कामिनी रंग पतंग बे, साचो न पाले नेह ।।
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