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(९४) एने लोको पालखु कहे ॥ ए॥ (च के ) वली (कोमल फलं लवं केस) सर्व कोसल फल एटले जेमां वीज थयां न होय अने (पूढसिराइ के०) जेनो कणसलो अथवा पोख गनो होय, एटो जेना कण पाधरा देखाता न होय, तथा जेनी नसो अथवा सांध स्पष्ट देखाती न होय त्यांसुधी ते अनंतकाय जाणवां, ते (सिणापत्ता के०) शणादिकनां पातरां आदि शव्दे करी जारनां पातरां पण लेवां.(योहरि के)योहरनी सर्व जाति,एमां कांटालो तथा खुरलाणी पण जाणवो. (कुंआरि के) कुंवार थाय ने ते लोकसां प्रसिद्ध बे,एने घरमां उंची टांगी होय तोपण सूकाती नथी, किंतु एना नवा मोर नीकलता जाय बे. (गुग्गुलि के) गुगल प्रसिद्ध बे. (गलोयपमुहा के) वली गजुची प्रमुख एने गपण कहे , एवबीने आकारे थाय दे, ए ज्वरादिकमटाडवानी औषधि विशेष ले. (आश् के)ए आदे दश्ने वीजां पण सर्वे जे (जिन्नरुहा के०) व्यां थकां पण वाव्याथी फरीने उगे ते सर्वे साधारण वनस्पति अथवा अनंतकाय कहीए ॥ १० ॥ .
इच्चाइणो अणेगे, दवंति या अणंत
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